Til Kund Chaturthi: तिल कुंद चौथ 25 जनवरी को मनाई जायेगी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और संपूर्ण कथा
Til Kund Chaturthi: तिल कुंद चौथ 25 जनवरी को है. इस दिन को भगवान गणेश के जन्मोसत्व के रूप में भी मनाया जाता है. तिल कुंद चौथ 25 जनवरी को मनाई जायेगी. जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और संपूर्ण कथा
Til Kund Chaturthi: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की तिल से पूजा करने का विधान है. इसी के साथ कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकटा चतुर्थी बताया गया है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ चंद्रमा की पूजा का भी विधान है.
इस बार माघ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी 25 जनवरी, 2023 बुधवार के दिन पड़ रही है. इसे वरद, विनायक या तिलकुंद चतुर्थी भी कहा जाता है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेश की पूजा के साथ पूरे दिन व्रत करने का संकल्प लेते हैं.
वरद कुंड चतुर्थी पूजन विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठ कर गणेश जी की पूजा के साथ दिन की शुरुवात करें.
- साथ ही पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें.
- शाम के समय गणेश जी की पूजा अर्चना के साथ तिल का नैवेद्य लगाते हैं.
- साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए.
- ऐसे व्रत और पूजा करने से सुख और सौभाग्य बढ़ता है
वरद कुंड चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जनवरी को दोपहर 03 : 22 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 25 जनवरी, बुधवार को दोपहर 12 : 34 मिनट तक रहेगी. ऐसे में गणेश जयंती 25 जनवरी, बुधवार को मनाई जाएगी.
वरद कुंड चतुर्थी कथा
इस चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की जन्म तिथि के रुप में भी मनाया जाता है.पौराणिक मान्यता के अनुसार जब एक बार माता पार्वती स्नान के लिए जाने वाली थी तो वह अपनी मैल से एक बच्चे का निर्माण करती हैं और उस बालक को अपने द्वार पर पहरा देने को कहती हैं. जब भोलेनाथ अंदर जाने लगते हैं तो द्वार पर खड़े बालक, शिवजी को पार्वती से मिलने से रोक देते है और अंदर न जाने के लिए कहते हैं.
बालक ने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए ऐसा किया. जब भोले नाथ को बालक ने रोका तो शिवजी क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया. जब माता पार्वती को ये बात मालूम हुई तो वह बहुत क्रोधित होती हैं. उन्होंने शिवजी से बालक को पुन: जीवित करने को कहा.
तब भोलेनाथ ने उस बालक के धड़ पर हाथी का सिर लगा कर उसे जीवित कर दिया. उसे समय से उन्हें गणेश का नाम प्राप्त हुआ. और वो भोलेनाथ और माता पार्वती के पुत्र कहलाए.
क्यों कहते है इसे वरद चतुर्थी
भगवान गणेश द्वारा दिए गए आशीर्वाद को वरद कहते है, तो इस दिन अगर आप यह व्रत रखेंगे तो आपको गणेश जी का आशीर्वाद जरूर मिलेगा. वरद चतुर्थी जीवन में सभी सुखों का आशीर्वाद प्रदान करने वाली है. वैसे यह चतुर्थी अन्य और भी बहुत सारे नाम से जानी जाती है. इसे हम तिल, कुंद, विनायक और भी नाम से जानते हैं.
यह भी पढ़े.
Hanuman Puja: मंगलवार के दिन इस शुभ पहर में करें हनुमान जी की पूजा, बरसेगी कृपा, होगा विशेष लाभ
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.