लक्ष्मी पूजन : 25 फरवरी को शुक्रवार का दिन है. शुक्रवार का दिन धन की देवी लक्ष्मी जी को समर्पित है. इस दिन पूजा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है. जिन लोगों के जीवन में धन की कमी या धन का संकट बना हुआ है वे इस दिन लक्ष्मी जी की विधि पूर्वक करने से इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. इस दिन दीपक जलाना शुभ माना गया है. शुक्रवार को लक्ष्मी जी के नाम से दीपक जलाने से घर का वास्तु भी ठीक होता है और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है. 


दीपक क्यों जलाते हैं?
ऋगवेद के अनुसार दीपक में देवताओं का वास होता है. इसीलिए पूजन से पहले दीपक जलाने की परंपरा है. इसके साथ ही किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व दीप को प्रज्वलित करते हैं. शास्त्रों के अनुसार दीपक को सदैव भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने ही प्रज्वलित करना चाहिए. घी का दीपक अपने बाएं हाथ की तरफ रखकर जलाएं और तेल का दीपक हमेशा दाईं ओर रखकर जलाना चाहिए. 


दीपक जलाने की विधि
पूजा के लिए दीपक जलाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. दिवाली के पर्व पर इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए. पूजा में विधि का विशेष महत्व है. मान्यता है कि विधि पूर्वक पूजा करने से लक्ष्मी जी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं. शुक्रवार को जब लक्ष्मी जी की पूजा के लिए दीपक जलाएं तो इन बातों का ध्यान रखें-


दीपक की बाती- दीपक की बाती का भी विशेष महत्व है. घी की बाती जला रहे हैं तो दीपक में रुई की बाती का प्रयोग करना उत्तम माना गया है, वहीं जब तेल का दीपक जलाते हैं तो लाल धागे की बाती बनाना चाहिए.


दीपक रखने की दिशा- दीपक जलाने के बाद उसकी दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए. कई बार इस बात का लोग ध्यान नहीं रखते हैं जिस कारण नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है. दीपक को कभी कोनों में नहीं रखना चाहिए. दीपक को सदैव पश्चिम दिशा में न रखना चाहिए. इसके साथ ही दिवाली पर खंडित दीपक का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इससे लक्ष्मी जी नाराज होती हैं.


शुभ मुहूर्त में जलाएं दीपक- दीपक जलाते समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें. शुभ मुहूर्त में दीपक जलाने से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.


दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें
शुक्रवार को लक्ष्मी जी की पूजा जीवन में सुख समृद्धि लाती है. शुक्रवार को शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना शुभ माना गया है. दीपक जलाते समय इस मंत्र का जाप करें-


शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।


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