Mohini Ekadashi 2022 Parana: व्रत से ज्यादा एकादशी पारण का महत्व, एकादशी व्रत पारण का सही नियम क्या है?
Mohini Ekadashi 2022 Parana: एकादशी को सबसे श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है. व्रत के साथ पारण का भी नियम शास्त्रों में बताया गया है. पारण यदि ठीक ढंग से न किया जाए तो इस व्रत का लाभ नहीं मिलता है
Mohini Ekadashi 2022, Mohini Ekadashi Parana Vidhi : आज मोहिनी एकादशी व्रत 2022 है. सभी एकादशी व्रतों में मोहिनी एकादशी को विशेष माना गया है. हिंदू धर्म में मोहिनी एकादशी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया था और इस धरती को असुरों से रक्षा की थी. मोहिनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस व्रत में नियमों का विशेष महत्व बताया गया है. एकादशी व्रत के पारण के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना चाहिए. कल 13 मई को द्वादशी की तिथि में इस व्रत का पारण किया जाएगा. इस दिन इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
- एकादशी व्रत का नियम दशमी से द्वादशी तक चलता है.
- द्वादशी को पारण करते समय चावल जरूर खाना चाहिए.
- तामसिक चीजों का पारण में भूल कर भी प्रयोग न करें एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के निमित्त रखा जाता है.
- हर मास में एकादशी आती है और मास के अनुसार एकादशी व्रत का महात्मय भी बढ़ जाता है.
- एकादशी व्रत करने के लिए दशमी के दिन से व्रत के नियम लग जाते हैं जो द्वादशी तक चलते हैं.
- एकादशी पर नियम और संयम के साथ व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना करने के बाद अगले दिन द्वादशी तिथि पर पारण में खास चीजों का ही सेवन करने का विधान है.
- इस व्रत के पारण में कुछ विशेष चीजों का प्रयोग करने से आपको व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है और देवतागण भी प्रसन्न होते हैं.
- भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है और उनकी पूजा में यदि तुलसी न हो तो वह पूजा या भोग वह ग्रहण नहीं करते, इसलिए भगवान विष्णु के किसी भी व्रत में तुलसी का प्रयोग जरूर करें और एकादशी व्रत के पारण के लिए भी आप तुलसी पत्र को अपने मुख में डाल कर कर सकते हैं.
- आंवले के पेड़ पर भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए आंवले का भी विशेष महत्व होता है. एकादशी व्रत का पारण आंवला खाकर करने से अखंड सौभाग्य, आरोग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है.
- एकादशी व्रत के पारण पर चावल जरूर खाना चाहिए. एकादशी व्रत के दिन चावल खाना मना होता है , लेकिन द्वादशी के दिन चावल खाना उत्तम माना जाता है . मान्यता है कि इस दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है , लेकिन द्वादशी को चावल खाकर व्रत का पारण करने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है.
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