मीन राशि में 6 ग्रह, शनि राहु के साथ ये ग्रह तबाही और बड़ी दुर्घटनाओं का दे रहे संकेत!
6 Planets in Pisces: मीन राशि में 6 ग्रह एक साथ गोचर करने जा रहे हैं. ये संयोग ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ नहीं है. मीन राशि में बनने वाले बहु-ग्रह योग का क्या परिणाम देखने को मिलेगा, जानते हैं.

6 Planets in Pisces: ज्योतिषीय ग्रंथों में जब एक ही राशि में कई ग्रह एकत्र होते हैं, तो इसे ग्रह संयोग (संमसप्तक या बहु-ग्रह योग) कहा जाता है. ऐसे संयोगों का वर्णन वेदों, पुराणों और विभिन्न ज्योतिषीय ग्रंथों में मिलता है. मीन राशि में 6 ग्रहों के इस विशेष संयोग से जुड़े प्रभावों के बारे में बृहद् पाराशर होरा शास्त्र, फलदीपिका, ब्रह्मांड पुराण और अन्य ग्रंथों में बताया गया है.
बृहद् पाराशर होरा शास्त्र में बहु-ग्रह योग
बृहद् पाराशर होरा शास्त्र में कहा गया है कि जब एक ही राशि में 5 या अधिक ग्रह होते हैं, तो यह दुनिया में बड़े परिवर्तन लेकर आता है.
श्लोक:
"यदि पंच ग्रहाः स्थाने स्वेऽथवा नीचगे स्थिताः.
भयं महद् भवेद् राज्ञां दुर्भिक्षं च प्रजास्वपि॥"
(बृहद् पाराशर होरा शास्त्र, अध्याय 53)
अर्थ:
जब एक ही राशि में पांच या अधिक ग्रह होते हैं, तो यह राजनीतिक अस्थिरता, अकाल, सामाजिक अराजकता, और युद्ध जैसी स्थितियां उत्पन्न कर सकता है.
प्रभाव:
शासकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. खाद्य संकट या प्राकृतिक आपदाएं हो सकती हैं. वैश्विक संघर्ष और बड़े परिवर्तन संभव हैं.
फलदीपिका में षडग्रही योग का वर्णन
फलदीपिका में कहा गया है कि जब किसी राशि में 6 ग्रह एकत्र होते हैं, तो यह राष्ट्र और विश्व स्तर पर सामाजिक व आर्थिक उथल-पुथल ला सकता है.
श्लोक:
"षड्ग्रहारिष्टयुक्ते च नृणां दुःखं समागतम्.
सर्वे वाणिज्य संकोचं युद्धं च जायते पुनः॥"
(फलदीपिका, अध्याय 27)
अर्थ:
जब 6 ग्रह एक ही राशि में होते हैं, तो व्यापार में संकट आ सकता है. युद्ध, विद्रोह और राजनीतिक अस्थिरता की संभावना बढ़ जाती है. कुछ जातकों को मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं.
ब्रह्मांड पुराण में दुर्लभ ग्रह संयोगों का प्रभाव
ब्रह्मांड पुराण में कहा गया है कि जब राहु और शनि जैसे ग्रह मीन राशि में अन्य ग्रहों के साथ संयोग बनाते हैं, तो दुनिया में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं.
श्लोक:
"राहुश्च शनिना युक्ते चक्रे देवगते यदि.
म्लेच्छा बलं समाप्नोति धर्मः शिथिलतां व्रजेत्॥"
(ब्रह्मांड पुराण, खंड 4)
अर्थ:
जब राहु और शनि एक साथ होते हैं, तो धर्मिक और नैतिक मूल्यों में गिरावट हो सकती है. विदेशी शक्तियां अधिक प्रभावशाली हो सकती हैं. राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
वराहमिहिर के बृहत्संहिता में बहु-ग्रह योग
श्लोक:
"षड्ग्रहाः यदि संक्रान्ते सिंहस्थे वा महाग्रहे.
राज्ञः क्षयः प्रजा हीनं भयं च स्यान्महाभयम्॥"
(बृहत्संहिता, अध्याय 15)
अर्थ:
जब एक राशि में 6 ग्रह होते हैं, तो राजा (शासक) के लिए संकट उत्पन्न होता है. जनता में असंतोष बढ़ता है और उथल-पुथल होती है. यह स्थिति किसी बड़े युद्ध या क्रांति का कारण बन सकती है.
भविष्य पुराण में युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का संकेत
श्लोक:
"गुरुश्च शनिना युक्ते राहुं चन्द्रेण संयुते.
नृणां क्लेशं महद् दुःखं सर्वक्षेत्रे विधीयते॥"
(भविष्य पुराण, अध्याय 36)
अर्थ:
जब गुरु और शनि एक साथ होते हैं, तो राजनीतिक और आर्थिक संकट उत्पन्न होते हैं. राहु और चंद्रमा का संयोग मानसिक तनाव और भ्रामक निर्णयों को जन्म देता है. यह कालखंड युद्ध, आर्थिक मंदी और प्राकृतिक आपदाओं को जन्म दे सकता है. संभावित प्रभाव: राजनीतिक और वैश्विक उथल-पुथल कुछ देशों में शासकों का पतन या सरकारों में परिवर्तन हो सकता है. भारत, अमेरिका, चीन, रूस और यूरोप में राजनीतिक घटनाक्रम तेज हो सकते हैं.
प्राकृतिक आपदाएं
जल से जुड़ी आपदाएं (बाढ़, सुनामी, चक्रवात) संभव हैं. भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट की संभावनाएं बढ़ सकती हैं. आर्थिक संकट और व्यापार में मंदी शेयर बाजार में भारी अस्थिरता आ सकती है. आर्थिक मंदी या कुछ सेक्टरों में आर्थिक गिरावट संभव है. सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन. समाज में नैतिक और धार्मिक मूल्यों में परिवर्तन हो सकता है. धर्म, परंपरा और आध्यात्मिकता की ओर लोगों का झुकाव बढ़ सकता है.
करने योग्य कार्य (DOs):
- ध्यान और योग का अभ्यास करें.
- धन और निवेश के मामले में सावधानी रखें.
- मानसिक शांति बनाए रखें और भावनात्मक रूप से संतुलित रहें.
- प्राकृतिक आपदाओं और अनिश्चितताओं के लिए तैयार रहें.
न करने योग्य कार्य (DON’Ts):
- अनावश्यक वाद-विवाद और राजनीतिक बहसों से बचें.
- बड़े निवेश या वित्तीय जोखिम न लें.
- भावनात्मक रूप से अस्थिर होकर कोई बड़ा निर्णय न लें.
- अफवाहों और गलत सूचनाओं से बचें.
ज्योतिषीय ग्रंथों में ऐसे दुर्लभ ग्रह संयोगों को बड़े वैश्विक बदलाव, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट, प्राकृतिक आपदाएं, और सामाजिक परिवर्तन का कारक माना गया है. हालांकि, हर संयोग का प्रभाव व्यक्ति और समाज पर अलग-अलग हो सकता है. इसलिए, इसे भय के रूप में देखने के बजाय सावधानी और समझदारी से इस समय का उपयोग करना चाहिए."धैर्यं परं बलम्" यानी धैर्य ही सबसे बड़ी शक्ति है-इस सिद्धांत को अपनाकर इस समय का सदुपयोग करें!
मार्च 2025 में मीन राशि में छह ग्रहों का दुर्लभ संयोग लगभग 57 वर्षों बाद पुनः बन रहा है. इस संयोग की अवधि और संबंधित ग्रहों के मीन राशि में प्रवेश की तिथियों को विस्तार से समझते हैं-
ग्रह का नाम | प्रवेश की तिथि |
शुक्र | 27 फरवरी 2025 |
सूर्य | 14 मार्च 2025 |
चंद्रमा | 28 मार्च 2025 |
शनि | 29 मार्च 2025 |
बुध | 27 फरवरी 2025 |
राहु | पहले से मीन राशि में स्थित है |
षडग्रही योग की अवधि:
यह दुर्लभ संयोग, जिसे षडग्रही योग कहा जाता है, 29 मार्च 2025 को बनेगा, जब ये छह ग्रह मीन राशि में एक साथ होंगे. यह स्थिति कुछ दिनों तक बनी रहेगी, जिसके बाद ग्रह क्रमशः अपनी अगली राशियों में प्रवेश करेंगे.
ग्रहों का मीन राशि से प्रस्थान:
ग्रह का नाम | मीन राशि से प्रस्थान की तिथि |
चंद्रमा | 30 मार्च 2025 |
सूर्य | 13 अप्रैल 2025 |
बुध | 14 अप्रैल 2025 |
शुक्र | 16 अप्रैल 2025 |
शनि | दीर्घकालिक मीन राशि में |
राहु | दीर्घकालिक मीन राशि में |
इस प्रकार, मीन राशि में छह ग्रहों का यह दुर्लभ संयोग 29 मार्च 2025 को बनेगा और लगभग 14 अप्रैल 2025 तक प्रभावी रहेगा, जब तक कि अधिकांश ग्रह मीन राशि से प्रस्थान नहीं कर जाते. शनि और राहु जैसे ग्रह मीन राशि में अधिक समय तक रह सकते हैं, क्योंकि उनकी गति धीमी होती है.
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