Kanya Sankranti 2024 Date: सूर्य देव (Surya Dev) अपने पथ पर सभी राशियों में गोचर करते हैं. जब सूर्य देव (Surya Gochar), सिंह राशि (Leo) से कन्या राशि (Virgo) में प्रवेश करते हैं तो उस दिन को कन्या संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. ये बेहद खास त्योहार प्रमुखता भारत के पूर्वी राज्यों, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मनाया जाता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना की जाती है. कन्या संक्रांति 2024 यानि सूर्य गोचर (Sun Transit 2024) से से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें यहां जानते हैं-
कन्या संक्रांति 2024 शुभ मुहूर्त (Kanya Sankranti 2024 Shubh Muhrat)
कन्या संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त पर पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. इस साल कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) का शुभ मुहूर्त 16 सितंबर सोमवार को है. सूर्य देव कन्या राशि में 15 सितंबर 2024 को रात 8 बजकर 2 मिनट पर प्रवेश करेंगे. वही सोमवार 16 सितंबर को रात के 8 बजकर 51 मिनट पर कन्या संक्रांति की समाप्ति होगी.
कन्या संक्रांति का महत्व (Kanya Sankranti Importance)
- सूर्य देव की पूजा-उपासना - कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. सूर्य देव को सृष्टि का संचालक कहा जाता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना करने से व्यक्ति को अपार सफलता प्राप्त होती है.
- पितृ पक्ष का आगमन - कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन से ही पितृपक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत हो जाती है. पितृ पक्ष लगभग 16 दिनों तक चलती है. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. कन्या संक्रांति के दिन व्यक्ति अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म-कांड करते हैं.
- विश्वकर्मा पूजा - कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन भगवान विश्वकर्मा जी (Vishwakrama Ji) की पूजा आराधना भी की जाती है. विश्वकर्मा जी को शिल्प और वास्तुकला के निर्माण का देवता कहा जाता है. इस दिन लोग अपने घरों और कार्यस्थलों पर इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं की पूजा करते हैं. माना जाता है कि मशीनों और औजारों में विश्वकर्मा जी का वास होता है.
- दान-पुण्य का महत्व - कन्या संक्रांति (Kanya Sankranti) के दिन दान करने से भगवान काफी प्रसन्न होते हैं. इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना बेहद शुभ माना जाता है.
कन्या संक्रांति 2024 के लिए पूजा विधि (Kanya Sankranti Puja Vidhi)
कन्या संक्रांति के दिन सूर्य देव और अपने पूर्वजों की पूजा अर्चना करने से पापों से मुक्ति मिलती है. कन्या संक्रांति के दिन विधि अनुसार पूजा-अर्चना की जानी चाहिए.
- पूजा की तैयारी- सबसे पहले स्नान करने के बाद पूजा स्थान को साफ करें. इसके बाद एक छोटी सी चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और आसन पर कलश स्थापित करें. कलश को गंगाजल से भरकर, आम के पत्ते के साथ उस पर कलावा बांध दे.
- सूर्य देव की पूजा- सूर्योदय से पहले उठकर कलश के साथ एक थाली में अक्षत, रोली, मौली, चंदन, सिंदूर, धूप, पुष्प आदि रखें. फिर उगते हुए सूर्य को अर्पित करते हुए "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें. पूजा के अंत में सूर्य देव और अपने पूर्वजों की आरती उतारें. वही सूर्य देव और अपने पूर्वजों को फल और मिठाई का भोग लगाएं.
कन्या संक्रांति से जुड़ी रोचक बातें
- कन्या संक्रांति के दिन कई प्रकार की लोक परंपराएं भी मनाई जाती हैं. पश्चिम बंगाल में कन्या संक्रांति को लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन किसान अपने फसलों की पूजा भी करते हैं.
- कुछ लोग कन्या संक्रांति के दिन को उपवास रखकर भगवान की भक्ति में मग्न रहते हैं.
- इस दिन सात्विक आहार ग्रहण करने की परंपरा है. इस दिन लोग दाल, चावल, सब्जी, फल आदि का सेवन करते हैं.
- कन्या संक्रांति के दिन दान देने का भी अपना महत्व होता है. आप अपनी क्षमता अनुसार जरूरतमंदों को दान कर सकते हैं.
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