Shani Gochar 2025: 29 मार्च को शनि का मीन राशि में गोचर, दुनिया में क्या होगा?
Shani Gochar 2025: शनि देव (Shani Dev) कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं. 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में आ जाएंगे. शनि का गोचर साल 2025 के सबसे बड़े गोचर में से एक है, इसका क्या असर होगा, जानते हैं.

Shani Gochar 2025: शनि का गोचर (Saturn Transit) भारतीय वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है. पूर्व की घटनाओं के देखें तो पाएंगे कि जब-जब शनि देव (Shani Dev) मीन राशि में आए हैं, तब-तब वैश्विक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों की लहर देखी गई है. एक बार शनि मीन राशि में आ रहे हैं, पुरानी घटनाओं का ज्योतिषीय विश्लेषण करते हुए जानने का प्रयास करते हैं कि इस बार शनि गोचर के क्या परिणाम देखने के संकेत मिल रहे हैं.
वैदिक ज्योतिषीय दृष्टिकोण
शनि देव (Shani Dev) को "कर्मफल दाता" और "संहारक ग्रह" माना जाता है, जो न्याय का कारक होता है. जब यह मीन राशि में गोचर करता है, तो यह गहरे भावनात्मक और सामाजिक बदलाव लाता है. मीन राशि एक जल तत्व की राशि है, जिसके स्वामी देव गुरु बृहस्पति (Jupiter) हैं. इसलिए शनि के गोचर से वैश्विक जल संकट, समुद्री गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन पर असर हो सकता है. साथ ही गुरु और शनि के संयोग या दृष्टि से न्यायिक और प्रशासनिक क्षेत्र में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.
ऐतिहासिक घटनाएं जब शनि मीन राशि में था-
साल (वर्ष) | शनि मीन में गोचर की अवधि | महत्वपूर्ण घटनाएं | ज्योतिषीय विश्लेषण |
1903-1905 | अप्रैल 1903 - जून 1905 |
1- रूस-जापान युद्ध (1904-05) 2- पहला वायुयान उड़ान (राइट ब्रदर्स, 1903) 3- रूसी क्रांति की शुरुआत (1905) |
1- शनि-गुरु की युति: युद्ध और औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा. 2- शनि-चंद्र संबंध: रूस में अशांति. |
1933-1935 | मई 1933 - जून 1935 |
1- हिटलर का सत्ता में आना (1933) 2- अमेरिका में न्यू डील (1933) 3- इटली का इथियोपिया पर हमला (1935) |
1- शनि-राहु प्रभाव: अधिनायकवादी शासन का उदय. 2- गुरु का प्रभाव: आर्थिक सुधार और नई नीतियां. |
1963-1966 | मार्च 1963 - अप्रैल 1966 |
1- अमेरिका में राष्ट्रपति केनेडी की हत्या (1963) 2- वियतनाम युद्ध में अमेरिका की बढ़ती भागीदारी (1965) 3- भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) |
1- शनि-केतु युति: राजनीतिक हत्या और वैश्विक संघर्ष. 2- गुरु की दृष्टि: भारत में युद्ध और विस्तारवाद. |
1993-1996 | अप्रैल 1993 - अप्रैल 1996 |
1- यूरोपीय संघ की स्थापना (1993) 2-रवांडा नरसंहार (1994) 3- विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना (1995) 4- भारत में आर्थिक सुधार (1995-96) |
1- शनि-मंगल दृष्टि: सामाजिक हिंसा और नरसंहार. 2- शनि-गुरु का प्रभाव: वैश्वीकरण को बढ़ावा. |
2025-2028 से जुड़ी भविष्यवाणी
शनि 29 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेगा और 7 मई 2027 तक वहीं रहेगा. इस दौरान, विभिन्न क्षेत्रों पर इसका असर देखने को मिलेगा.
- वैश्विक आर्थिक स्थिति:
आर्थिक मंदी का खतरा, कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अस्थिर हो सकती हैं.
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी को बढ़ावा, शनि मीन में तकनीकी वित्तीय सुधारों को जन्म दे सकता है.
बैंकिंग और वित्तीय घोटाले, क्योंकि शनि न्यायधीश ग्रह है, भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा संभव. - राजनीतिक उथल-पुथल:
बड़ी सरकारों में सत्ता परिवर्तन, अमेरिका, रूस, चीन और भारत में राजनीतिक अस्थिरता संभव.
युद्ध और संघर्ष, दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप में सैन्य गतिविधियां बढ़ सकती हैं.
नए गठजोड़ और संधियां, जैसे 1993 में WTO की स्थापना हुई थी, वैसे ही नए व्यापारिक समझौते बन सकते हैं. - विज्ञान और तकनीक में क्रांति:
अंतरिक्ष और AI तकनीक का उछाल, NASA, ISRO और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां नई खोज करेंगी.
चंद्रमा और मंगल मिशन में बढ़ोतरी, जैसे 1903 में पहला हवाई जहाज बना, वैसे ही अंतरिक्ष में बड़ी छलांग संभव.
बायोटेक और फार्मा इंडस्ट्री में नए आविष्कार, चिकित्सा क्षेत्र में नई दवाइयों और इलाज की खोज होगी. - सामाजिक और धार्मिक परिवर्तन:
विश्व स्तर पर आध्यात्मिक जागृति, नए धार्मिक, ध्यान और योग आंदोलन उभर सकते हैं.
विध्वंसक मानसिकता, जातीय और धार्मिक संघर्ष बढ़ सकते हैं.
पारिवारिक संरचना में बदलाव, विवाह, तलाक और रिश्तों के पैटर्न बदल सकते हैं.
भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारतीय अर्थव्यवस्था:
- बाजार में भारी उतार-चढ़ाव.
- स्टार्टअप सेक्टर में सुधार और छंटनी के दौर के बाद नई नौकरियों का सृजन.
राजनीतिक घटनाएं:
- सत्ता परिवर्तन और नए नेतृत्व का उभरना.
- न्यायिक और प्रशासनिक सुधार.
प्राकृतिक आपदाएं:
- जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवात और भूकंप.
- समुद्री क्षेत्रों में प्राकृतिक घटनाओं की संभावना.
शनि गोचर को लेकर शास्त्र क्या कहते हैं-
- बृहत् संहिता (वराहमिहिर): शनि के जल तत्व राशि में गोचर से सामाजिक उथल-पुथल का संकेत मिलता है.
- फलदीपिका (मंत्रेश्वर): शनि-गुरु के संयोग से बड़े आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन होते हैं.
- लघु पराशरी (पाराशर मुनि): शनि के मीन राशि में आने से प्राकृतिक आपदाएं और जल संकट की स्थिति बनती है.
प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रीय ज्योतिषीय सिद्धांतों में शनि गोचर को महत्वपूर्ण माना गया है-
1. बृहत् संहिता (वराहमिहिर)
बृहत् संहिता के ग्रहचारे प्रभावाध्याय (Chapter on Planetary Transits) में बताया गया है कि जब शनि जल तत्व राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन) में प्रवेश करता है, तो समुद्री और जलीय आपदाएं, व्यापार में अस्थिरता, और वैश्विक सत्ता परिवर्तन होते हैं.
श्लोक:
"शनि: समुद्रे यदि संचरति, तदा महती वारिवृष्टिर भवति."
अर्थ- यदि शनि जल राशि में संचरण करता है, तो वर्षा अधिक होती है, समुद्री व्यापार प्रभावित होता है, और जल से जुड़ी आपदाएं आती हैं. 1963-66 में जब शनि मीन में था, तब समुद्री तूफान, बाढ़ और चक्रवात की घटनाएं देखी गई थीं.
2. फलदीपिका
फलदीपिका के शनि फलाध्याय (Effects of Saturn) में वर्णित है कि जब शनि मीन राशि में स्थित होता है, तो वैश्विक न्याय व्यवस्था, प्रशासनिक सुधार और आध्यात्मिक गतिविधियों में वृद्धि होती है.
श्लोक:
"शनि: गुरुपथे यदि संचरति, धर्मसंस्थानं, राजसत्ता परिवर्त्तनं, चौर्यकर्म प्रवृद्धयश्च."
अर्थ- जब शनि गुरु की राशि में गोचर करता है (धनु या मीन), तो धर्म, न्याय और प्रशासन में बड़े बदलाव आते हैं, सत्ता परिवर्तन होता है, और भ्रष्टाचार बढ़ सकता है.
(शनि न्याय का कारक है और मीन राशि आध्यात्मिकता और नीतिगत सुधारों की प्रतीक है. 1993-96 (पिछली शनि मीन गोचर) के दौरान विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना और यूरोपीय संघ (EU) का गठन हुआ था.)
3. लघु पराशरी (पराशर मुनि)
लघु पराशरी ग्रंथ के अनुसार, शनि के जल तत्व राशि में गोचर से वैश्विक युद्ध, प्राकृतिक आपदाएं और सत्ता संघर्ष होते हैं.
श्लोक:
"शनि: जलराशौ स्थिते, नृणां महतां युध्दं, क्षेत्राणि विपत्तिं, जलदोषश्च जायते."
अर्थ- जब शनि जल राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन) में स्थित होता है, तो युद्ध, कृषि क्षेत्र में नुकसान और जल से संबंधित संकट उत्पन्न होते हैं. इस श्लोक से स्पष्ट है कि शनि का मीन में गोचर युद्ध और आपदाओं को जन्म दे सकता है. 1933-35 (हिटलर का उदय और द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत) और 1963-66 (भारत-पाक युद्ध) इस गोचर के दौरान हुए.
4. बृहद् जातक (वराहमिहिर)
बृहद् जातक के अनुसार, जब शनि मीन राशि में होता है, तब बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल और आध्यात्मिक आंदोलन देखने को मिलते हैं.
श्लोक:
"शनि: जलराशौ स्थिते, धर्मनाशो वा नूतनधर्मोत्पत्तिः."
अर्थ- जब शनि जल राशि (विशेषकर मीन) में होता है, तो या तो धर्म की हानि होती है, या कोई नया धर्म या विचारधारा जन्म लेती है.
5. जातक परिजात
शनि जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तो नौकरी और उद्योग जगत में भारी बदलाव, बेरोजगारी में वृद्धि और श्रम संकट होता है.
श्लोक:
"शनि: मीनराशौ स्थिते, कर्मक्लेशो, उद्योगे विलंबः, एवं च विपन्नश्रमः."
अर्थ- जब शनि मीन राशि में होता है, तब कामकाजी वर्ग को कठिनाइयां होती हैं, उद्योगों में रुकावटें आती हैं, और श्रमिकों को संकट का सामना करना पड़ता है. पूर्व में देखें तो 1933-35 और 1993-96 (शनि मीन गोचर) के दौरान कई देशों में बेरोजगारी दर बढ़ी थी. 2025-28 में भी वैश्विक मंदी और जॉब लॉस की संभावना बन रही है.
भविष्यवाणी 2025-2028
- शनि का मीन राशि में गोचर 2025-2028 तक रहेगा, जो वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव ला सकता है. सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग कठोरता से अपनी नीतियों को लागू करने का प्रयास करेंगे, इससे देशों के बीच आपसी टकराव की स्थिति भी बन सकती है, एक दूसरे पर प्रतिबंध लगाने जैसे फैसले ले सकते हैं. भूगोल बदलने का भी प्रयास किया जा सकता है. छोटे देशो के सामने चुनौतियां आ सकती हैं.
- आर्थिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक और सामाजिक परिवर्तन होंगे, जिनका प्रभाव लंबे समय तक रहेगा.
ज्योतिषीय गणना से ऐसा प्रतीत होता है कि यह समय 'पुराने युग के अंत और नए युग की शुरुआत' के लिए जाना जाएगा.
यह भी पढ़ें- पिशाच योग 2025: आने वाले 50 दिन क्या पूरी दुनिया को हिला देंगे, जानें भविष्यवाणी
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

