Shani Vakri 2024: ज्योतिष ग्रंथों में शनि का कर्मफलदाता, कलियुग का दंडाधिकारी भी कहा गया है.साढ़ेसाती और ढैय्या के समय शनि दंडनायक बन जाते हैं और व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देते हैं.
शास्त्रों के अनुसार शनि जब वक्री चाल चलते हैं तो साढ़ेसाती-ढैय्या से पीड़ित राशियों पर इसका अशुभ प्रभाव बढ़ जाता है. आइए जानते हैं शनि का वक्री होना क्या होता है, क्या साढ़ेसाती और ढैय्या इससे ज्यादा खतरनाक हैं ?
शनि वक्री 2024 (Shani Vakri 2024 Date)
29 जून 2024 से कुंभ राशि में शनि की वक्री चाल शुरू हो चुकी है. करीब 139 दिन तक शनि वक्री अवस्था में रहेंगे. नवंबर में शनि मार्गी होंगे.
शनि के वक्री होने का अर्थ (Meaning of Shani Vakri)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों के वक्री होने से उनके परिणाम बदल जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि इससे उसके परिणाम उल्टे हो जाते हैं. शनि ग्रह जब वक्री होता है तो उल्टी दिशा में धीमी गति से चलता है. शास्त्रों की माने तो वक्री अवस्था में शनि पीड़ित हो जाते हैं, ऐसे में उनका प्रभाव भी कम हो जाता है.
क्या साढ़ेसाती- ढैय्या से ज्यादा खतरनाक है वक्री शनि ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि की साढ़ेसाती (Sade sati) और ढैय्या (Dhaiya) को शनि के वक्री होने से ज्यादा खतरनाक माना जाता है. क्योंकि शनि की वक्री चाल कम समय के लिए होती है लेकिन साढ़ेसाती साढ़े सात साल तक और ढैय्या ढाई साल तक रही है. साढ़ेसाती और ढैय्या दोनों में ही व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से कष्ट भोगने पड़ते हैं. अभी मकर, कुंभ, मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है वहीं कर्क और वृश्चिक राशि वाले शनि की ढैय्या से पीड़ित हैं.
शनि का वक्री होना देता है संदेश
राशि चक्र का कार्यपालक शनि, जीवन के पाठों, सीमाओं और कर्म से जुड़ा हुआ है, और इसकी वक्री चाल हमें अपने भीतर देखने, जिम्मेदारियों को समझने, कार्यों को पूरा करने, खुद पर कंट्रोल करने का समय देती है.
शनि मार्गी 2024 कब ?
15 नवंबर को शाम 7 बजकर 51 मिनट पर वक्री से मार्गी होंगे, यानी उनकी उल्टी चाल खत्म होगी और वे सीधी चाल चलने लगेंगे.
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