Sun Transit in Ardra Nakshatra 2023: गुरुवार 22 जून 2023 को सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं और इस नक्षत्र में सूर्य 6 जुलाई 2023 तक रहेंगे. इन 15 दिनों में आषाढ़ महीने के आखिरी दिन रहेंगे और सावन महीने की शुरुआत होगी.


 सूर्य का यह नक्षत्र परिवर्तन किसान और खेती से जुड़े लोगों के लिए बहुत शुभ रहेगा. ग्रंथों में कहा गया है कि, जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो धरती रजस्वला होती है. यानी ये वक्त बीज बोने के लिए सही होता है.



सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश का प्रभाव


ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि, 22 जून के तात्कालिक तिथि, वार और योग का फल शुभप्रद है लेकिन नक्षत्र का फल नेष्ट है. सूर्य सायंकाल में आर्द्रा में प्रवेश कर लिया है. जो मध्यम शुभकारक है. आर्द्रा प्रवेश के समय चंद्रमा सूर्य से द्वितीय स्थान में होकर पूर्ण जलराशि कर्क में होने से उत्तम वर्षाकारक योग है. इसके प्रभाव से भारत में कहीं अतिवर्षण को कहीं मध्यम या खंड वृष्टि होने के योग हैं. सूर्य के आर्द्रा में प्रवेश के एक दिन बाद बुध के मिथुन राशि में प्रवेश करने और पहले से शुक्र के कर्क राशि में भ्रमण करने से पश्चिमोत्तर भारत में व्यापक वर्षा हो सकती है.


ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य जब विभिन्न नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तब प्रकृति में आश्चर्यजनक बदलाव होता है. रोहिणी नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र ,स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, जेष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में सूर्य के विद्यमान होने से तेज गर्मी पड़ती है. जैसे ही इन नक्षत्रों से होकर सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तब सूर्य की तपन कम होने लगती है और आकाश मंडल में बादल छाने लगते हैं. अच्छी बारिश होती है और धरती जलमग्न होकर आमजन को शीतलता प्रदान करती है. 


आर्द्रा नक्षत्र वर्षा के लिए सबसे अनुकूल


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वर्षा के मुख्य 8 नक्षत्र होते हैं. वर्षा ऋतु के नक्षत्र आर्द्रा 22 जून, पुनर्वसु 6 जुलाई और 20 जुलाई, अश्लेषा 3 अगस्त, 17 अगस्त और 19 अगस्त, उत्तराफाल्गुनी 14 सितंबर और हस्त नक्षत्र 27 सितंबर तक बरसात श्रेष्ठ होगी‌. प्रारंभिक दौर की बात करें तो, सूर्य देव के 22 जून को आर्द्रा  नक्षत्र में प्रवेश करते ही गर्मी का ताप कम होने के आसार रहेंगे. यानी सूर्य देव के आर्द्रा नक्षत्र में 22 जून को आने से ही बरसात भी शुरू होने के योग हैं. क्योंकि ज्योतिष दृष्टि से आर्द्रा नक्षत्र वर्षा के लिए सबसे अनुकूल नक्षत्र माना जाता है. सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर जाते हैं तो यह स्थिति वर्षा होने की संभावना को तीव्रता से बढ़ा देती है. ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र प्रवेश काल में अच्छी वर्षा का योग होता है. आर्द्रा नक्षत्र 27 नक्षत्रों में छठा नक्षत्र माना जाता है, और इससे मिथुन राशि का निर्माण होता है.


जीवनदायी नक्षत्र है आर्द्रा 


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि समस्त 27 नक्षत्रों में आर्द्रा को जीवनदायी नक्षत्र कहा गया है. इससे धरती को नमी प्राप्त होती है. कृषि प्रधान देश भारत में इसी नक्षत्र से कृषि कार्यों का शुभारंभ होता है. नक्षत्रमंडल में आर्द्रा छठा नक्षत्र है और इसका अधिपति राहु है. इस नक्षत्र से मिथुन राशि का निर्माण होता है इसलिए इस पर मिथुन के स्वामी बुध का प्रभाव भी देखा जाता है. आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश के साथ ही वर्षा ऋतु का प्रारंभ होता है. 


6 जुलाई तक मध्यम से श्रेष्ठ वर्षा का योग 


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, सूर्य 22 जून से 6 जुलाई तक आर्द्रा नक्षत्र में गोचर करेंगे. इस दौरान खंड वर्षा के योग बनेंगे. भारत के पश्चिम-उत्तर के राज्यों में भारी वर्षा हो सकती है. अन्य राज्यों में सामान्य और मध्यम वर्षाकारक योग हैं. वर्षा का असंतुलन बना रहेगा. कुछ राज्य भीषण गर्मी से बेहाल रहेंगे तो कुछ जगहों पर धूल भरी आंधियां चल सकती है.


आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र हैं जोकि आंधी, तूफान के स्वामी हैं. ये भगवान शिव का ही रूप है. वहीं, ज्योतिर्विज्ञान में राहु को इस नक्षत्र का स्वामी बताया गया है जोकि धरती का उत्तरी ध्रुव भी है. ये उर्ध्वमुख नक्षत्र है. यानी इस नक्षत्र में ऊपर की ओर गति करने वाले काम किए जाते हैं इसलिए जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में होता है तभी बीज बोए जाते हैं और खेती की शुरुआत होती है. आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के आने से बारिश का मौसम शुरू हो जाता है.


सूर्य की चाल से ही बदलती हैं ऋतुएं


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहता है. इस तरह 2 राशियां बदलने पर मौसम भी बदल जाता है. सूर्य जब वृष और मिथुन राशि में रहता है तो गर्मीयों का मौसम होता है, लेकिन सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र में आता है तो वो कर्क राशि के नजदीक होता है. कर्क राशि की ओर बढ़ता हुआ सूर्य बारिश का संकेत देता है. इस तरह जब सूर्य कर्क और सिंह राशि में होता है तो ये वर्षा ऋतु का काल होता है.


सूरज को अर्घ्य देने से बढ़ती है उम्र


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में आने पर खीर-पूड़ी और कई तरह के पकवान बनाकर उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर पूजा और स्वागत करते हैं. मान्यता है कि इस परंपरा से बीमारियां दूर होती हैं और उम्र भी बढ़ती है. आर्द्रा नक्षत्र पर राहु का विशेष प्रभाव रहता है जोकि मिथुन राशि में आता है. जब सूर्य सूर्य इस नक्षत्र में होता है तब पृथ्वी रजस्वला होती है. ये नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है. इसे खेती के कामों में मददगार माना जाता है.


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