Vrishchik Sankranti 2023 Chhath Puja: शुक्रवार 17 नवंबर 2023 से चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है. आज छठ व्रतियों ने नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत की. इस साल छठ पूजा की शुरुआत बहुत खास दिन पर हुई है. दरअसल आज छठ पर्व की शुरुआत वृश्चिक संक्रांति के दिन हुई है.


क्या होती है वृश्चिक संक्रांति


शुक्रवार 17 नवंबर को सूर्य का राशि परिवर्तन हुआ है. सूर्य के राशि परिवर्तन को ही संक्रांति रहते हैं. इसके साथ ही संक्रांति का अर्थ कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से भी होता है. आज सूर्य का राशि परिवर्तन वृश्चिक राशि में दोपहर 01:07 पर हुआ है. सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर चुके हैं. वृश्चिक राशि में सूर्य के प्रवेश करने से इसे वृश्चिक संक्राति कहा जाता है.


सूर्य देव अब पूरे एक मास वृश्चिक राशि में रहेंगे. ऐसे में छठ व्रतियों को नहाय-खाय के दिन सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होगी और दोगुना फल मिलेगा. बता दें कि वृश्चिक संक्रांति के साथ ही शास्त्रों में मेष, मकर, मिथुन और कर्क संक्रांति का भी विशेष महत्व होता है.


शुभ संयोग में छठ पूजा की शुरुआत



  • छठ पर्व के पहले दिन जहां सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर हुआ है. वहीं 18 नवंबर को खरना के दिन वृश्चिक संक्रांति के स्नान दान का पुण्य मिलेगा.

  • 19 नवंबर को छठ पर्व से संध्या अर्घ्य पर सूर्य षष्ठी के दिन ग्रह-नक्षत्रों का भी अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसमें सूर्य देव को अर्घ्य देने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होगी.

  • कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि यानी 19 नवंबर को छठ पर्व के संध्या अर्घ्य के दिन वृद्धि योग और श्रवण नक्षत्र रहेगा. इन योग व नक्षत्र में अर्घ्य देना बहुत उत्तम माना जाता है. छठ व्रतधारी 19 नवंबर को शाम 05:26 पर अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य दे सकती हैं.

  • सोमवार 20 नवंबर को ऊषा अर्घ्य यानी छठ व्रत के अंतिम दिन ध्रुव योग और धनिष्ठा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा. इसे धन-समृद्धि देने वाला योग माना जाता है. इस योग में छठ व्रतधारी सुबह 06:47 तक सूर्य को अर्घ्य दे सकती हैं.


छठ पर्व के आरंभ में सूर्य गोचर क्या संदेश देता है


सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो साक्षात दर्शन देते हैं और पृथ्वी पर मौजूद समस्त प्राणियों के जीवन का आधार माने जाते हैं. छठ पर्व भगवान भास्कर को समर्पित है. सूर्य देव वैसे तो हर मास राशि परिवर्तन करते हैं. लेकिन वृश्चिक राशि में सूर्य की स्थिति सबसे बेहतर मानी जाती है. 17 नवंबर को सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश कर यहां बुध और मंगल के साथ विराजमान होंगे. ऐसे में कई राशियों को सूर्य गोचर का लाभ मिलेगा.


वहीं छठ पर्व जोकि सूर्य उपासना का पर्व है. इस खास दिन सूर्य देव का राशि परिवर्तन करना छठ व्रतधारियों के लिए बहुत शुभ साबित होगा. यह इस बात का भी संदेश है कि, इस दौरान सूर्य देव की उपासना करने वाले भक्तों और छठ व्रतधारियों को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होगा.  


ये भी पढ़ें: Chhath Puja 2023: छठ महापर्व शुरू, नहाय-खाय पर बन रहे अद्भुत योग, सूर्य उपासना का मिलेगा दोगुना लाभ





Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.