Vrishchik Sankranti 2024: वृश्चिक संक्रांति क्या होती है, इसका हिंदू धर्म में क्या महत्व है
Vrishchik Sankranti 2024: सूर्य जब एक राशि की यात्रा समाप्त कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन संक्रांति मनाई जाती है. संक्रांति का दिन सूर्य देव की पूजा और दान के लिए महत्वपूर्ण होता है.
Vrishchik Sankranti 2024: ग्रहों के कारक सूर्य (Surya dev) किसी राशि में एक महीने तक रहते हैं और फिर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं. सूर्य के एक राशि में दूसरी राशि में जाने यानी राशि परिवर्तन (Rashi Parvartan) को ही संक्रांति (Sankranti) कहा जाता है. वैसे तो सूर्य समय-समय पर सभी 12 राशियों का भ्रमण करते हैं लेकिन मेष, कर्क, मिथुन, मकर और धनु राशि में सूर्य गोचर को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.
वृश्चिक संक्रांति क्या है (What is Vrishchik Sankranti)
सूर्य देव जब तुला राशि से निकलकर वृश्चिक (Scorpio) प्रवेश करते हैं तो उसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है. बता दें कि सूर्य जिस दिन जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन उस राशि के नाम की संक्रांति होती है. संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा, उपासना, व्रत और दान आदि का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है.
वृश्चिक संक्रांति 2024 कब है (Vrishchik Sankranti 2024 Date)
पंचांग (Panchang) के अनुसर वृश्चिक संक्रांति आज शनिवार 16 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी. आज सुबह 7:41 पर सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर चुके हैं, जहां वे 14 दिसंबर तक रहेंगे और 15 दिसंबर को धनु राशि (Dhanu Rashi) में प्रवेश करेंगे. वहीं वृश्चिक संक्रांति का पुण्य काल सुबह 06 बजकर 45 मिनट- 7 बजकर 41 मिनट तक
वृश्चिक संक्रांति का प्रभाव (Sun Transit in Scorpio Effect)
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, सभी 12 राशियों में वृश्चिक अधिक संवेदनशील राशि मानी जाती है. जोकि शरीर की तामसिक ऊर्जा, दुर्घटना और जीवन के उतार-चढ़ाव को प्रभावित करती है. साथ ही यह राशि खनिज, भूमि संसासधन (तेल, गैस, रत्न आदि) का कारक भी होती है. ऐसे में जब सूर्य इस राशि में आते हैं तो अनिश्चित परिणाम देते हैं.
वृश्चिक संक्रांति धार्मिक महत्व (Vrishchik Sankranti Significance)
वृश्चिक संक्रांति का महत्व इसलिए भी और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने के साथ ही कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन भी होता है. संक्रांति के दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य (Surya Arghya) जरूर देना चाहिए. धार्मिक मान्यता के अनुसार संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य देने से सूर्य संबंधित दोष और पितृ दोष खत्म होता है. इस दिन दान का भी बड़ा महत्व है. आज के लिए लोग तिल, गुड़, वस्त्र और भोजन आदि का दान करते हैं.
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