Union Budget 2024: नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं. उनके तीसरे कार्यकाल में पहला बजट (Budget 2024) 23 जुलाई 2024 को पेश होगा. यह बजट देश के लिए कितना अच्छा रहेगा और किन-किन क्षेत्र में इस बजट का अधिक लाभ मिलेगा. इसे हम भारतवर्ष की कुंडली (Kundli) में चल रहे ग्रहों  के दशाओं तथा गोचरीय प्रभाव के माध्यम से जानेंगे.


भारत (India) की कुण्डली 15 अगस्त 1947 रात 12:00 बजे स्थान दिल्ली (New Delhi) की बनती है जो वृषभ लग्न और कर्क राशि की है. लग्न में राहु, द्वितीय भाव में मंगल, तृतीय भाव में चंद्र शुक्र सूर्य बुध और शनि, षष्टम भाव में बृहस्पति, सप्तम भाव में केतु (Ketu) हैं. अब गोचर का प्रभाव लग्न कुण्डली पर लागू करने से क्या असर दिखता है, यह जानते हैं.


दिनांक 23 जुलाई 2024 को वृषभ लग्न की कुंडली यदि हम देखते हैं तो इसमें लग्न को भारत वर्ष माना जाएगा और द्वितीय भाव को धन संचय और बजट सम्बंधित मानेंगे. द्वितीय भाव की अवस्था तथा इस पर गोचरीय प्रभाव का आंकलन करने से निम्न बिन्दु स्पष्ट होते हैं, जोकि इस प्रकार हैं-


कुण्डली पर ग्रहों की दशा (Position of planets on the Horoscope)


वर्तमान समय में भारतवर्ष की कुंडली (Kundli) में चंद्रमा की महादशा चल रही है और उसमें शुक्र की अंतर्दशा मार्च 2025 तक रहेगी. कुंडली में चंद्रमा (Moon) तृतीय भाव का स्वामी तथा शुक्र लग्न का स्वामी है, जो धन भाव के स्वामी बुध के साथ तृतीय भाव में विराजमान हैं. इसके साथ ही सूर्य तथा शनि भी इस कुंडली में तृतीय भाव में विराजमान हैं. जब कभी लग्नेश तथा धनेश की युति बनती है तो उस दशा में देश को धन लाभ के योग बनते हैं.


लग्नेश शुक्र का धनेश बुध के साथ तृतीय भाव में होना दर्शाता है कि इस वर्ष बजट सामान्य रहेगा. बजट में बहुत अधिक लाभ इसलिए स्पष्ट नहीं होता है, क्योंकि लग्नेश शुक्र अस्त है जोकि कुछ हद तक कमजोर बिंदु कहा जा सकता है. अस्त ग्रहों की दशा में बड़े स्तर के लाभ मिलना कुछ कठिन होता है. इसलिए बजट की स्थिति को देखें तो यह एक सामान्य स्तर से थोड़ा ही अधिक अच्छा रहेगा.


गोचरीय प्रभाव (Transitory effects)


23 जुलाई 2024 को भारत की लग्न कुंडली पर ग्रहों का गोचरीय प्रभाव भी बजट के आंकलन को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. बजट के समय वृषभ लग्न में मंगल तथा बृहस्पति, तृतीय भाव में शुक्र तथा सूर्य, चतुर्थ भाव में बुध, पंचम भाव में केतु, नवम भाव में चंद्रमा, दशम भाव में शनि (Shani) और एकादश भाव में राहु की स्थिति होगी.


गोचर की स्थितियों के अनुसार यह योग एक झलक में तो बेहतरीन प्रतीत होगा, लेकिन भारत के धन भाव को मजबूत नहीं बना रहा है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं-



  • लग्न में एकादशी भाव का स्वामी बृहस्पति सप्तम तथा द्वादश भाव के स्वामी मंगल के साथ है जो दर्शाता है कि बजट का विदेश से संबंधित नीतियों तथा आयात और निर्यात में काफी अधिक इस्तेमाल किया जाएगा तथा विदेश से तकनीक से संबंधित लाभ मिलेंगे.

  • इसके साथ-साथ धन भाव अर्थात जो मुख्य रूप से धन का संचय करने वाला भाव है, उसका स्वामी बुध चतुर्थ भाव में मित्र सूर्य की राशि में है. दशम भाव में बैठे वक्री शनि की सातवीं दृष्टि बुध को प्रभावित कर रही है. यह बिंदु थोड़ा सा कमजोर कहा जाएगा क्योंकि चतुर्थ केन्द्र भाव में बुध तो है लेकिन शनि की दृष्टि बुध के शुभ प्रभाव को धीमा कर रही है. इसका अर्थ यह निकलता है कि बजट जिस समय प्रस्तुत किया जाएगा वह देखने में बहुत बड़े स्तर का प्रतीत नहीं होगा, लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे बजट का इस्तेमाल स्पष्ट होगा वैसे वैसे यह बजट सामान्यतः अच्छे स्तर पर जाता हुआ प्रतीत होने लगेगा.

  • इस बजट में थोड़ा सा नकारात्मक बिंदु यह भी है कि व्यय भाव के स्वामी मंगल की चौथी दृष्टि धन भाव के स्वामी बुध पर है. जब कभी भी व्यय भाव का स्वामी, धन भाव के स्वामी को देखता है तो उस समय धन स्वयं के पास होते हुए भी बाहर के स्थान में खर्च होने लगता है या किसी दूसरे की अमानत बनकर अपने पास रह जाता है.

  • इसलिए बजट का यह प्रभाव दिखता है कि खींच घसीटकर अगला बजट आने तक यह बजट पूरा-पूरा ही होगा, इसमें अतिरिक्त धन बचने की संभावना कुछ कम ही रहेगी.


कुण्डली की दशा तथा गोचर के संयुक्त प्रभाव से बजट का निष्कर्ष-


भारतवर्ष की कुंडली में दशाएं मिले-जुले प्रभाव वाली है तथा गोचर की स्थिति भी बहुत अधिक लाभ वाली प्रतीत नहीं होती है. यदि इस बजट में से भविष्य के बजट तक धन के बचाव को देख तो उसमें इतना अधिक धन बचत हुआ प्रतीत नहीं होता. लेकिन वर्तमान में देश के जिन सेक्टर पर धन लगाना चाहिए उन पर भी खुले रूप से धन लगाने में कुछ तंगी अथवा दिक्कत महसूस हो सकती है.


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