Vaishakh Amavasya 2021: पंचांग के अनुसार 11 मई 2021 मंगलवार को वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि है. वैशाख मास की अमावस्या को विशेष माना गया है. इस अमावस्या की तिथि को सुतवाई और भौमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. कालसर्प और पितृ दोष को दूर करने के लिए इस दिन की जाने वाली पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होता है.


कालसर्प दोष क्या होता है?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में जब सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाएं तो काल सर्प योग बनता है. काल सर्प दोष की स्थिति जिन कुंडली में पाई जाती है उनका जीवन संघर्ष और परेशानियों से भरा रहता है. हर कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता है. शिक्षा, जॉब, करियर, बिजनेस और सेहत के मामले में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.


पितृ दोष कैसे बनता है?
ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष अत्यंत अशुभ माना गया है. पितृ दोष का निर्माण जन्म कुंडली में तब होता है, जब कुंडली के दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति स्थित हो. वहीं सूर्य यदि तुला राशि में विराजमान होकर राहु या शनि के साथ युति करें तो इस दोष का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है. इसके साथ ही लग्नेश यदि छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी पितृ दोष का निर्माण होता है. पितृ दोष के कारण धनहानि, कार्य में बाधा, दांपत्य जीवन में कलह, प्रेम संबंधों में बाधा, कोई भी कार्य पूर्ण नहीं होता है. मानसित तनाव, अज्ञात भय की स्थिति आदि बनी रहती है.


अमावस्या पर करें ये उपाय
काल सर्प दोष यदि पीड़ित हैं तो इस दिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. भगवान शिव का विधिवत अभिषेक करना चाहिए. इसके साथ ही शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. भगवान शिव को इस दिन उनकी प्रिय चीजों को भोग लगाना चाहिए. पितृ दोष से बचने के लिए इस दिन चावल से बने पिंड का दान करना चाहिए. पितरों से माफी मांगनी चाहिए. पितरों का स्मरण करना चाहिए.


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