Valentines Day 2023: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति का महत्व बताया गया. कुंडली में इनकी दशा और स्थिति के कारण व्यक्ति का जीवन प्रभावित होता है. इससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति के साथ-साथ पारिवारिक और वैवाहिक जीवन भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह जाता है. कुंडली में ग्रहों की दशा के कारण ही उनका प्रेम भी प्रभावित होता है.


जब कुंडली में प्रेम योग बना रहता है तो ऐसे लोगों को प्यार मिलता है लेकिन जब कुंडली में प्रेम योग नहीं होता या कमजोर होता है तो ऐसे लोगों के लिए प्रेम मुश्किल हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की दशा बताती है कि आपके नसीब में प्यार है या नहीं. आइये जानते हैं कि कुंडली में ऐसे कौन से कारक होते हैं जो प्रेम योग को दर्शाते हैं.


प्रेम विवाह के योग


जीवन में कई लोग प्रेम विवाह करना चाहते हैं, लेकिन कुछ सफल हो जाते हैं तो कुछ के प्रेम विवाह में बाधाएं आ जाती हैं. जन्म कुंडली में कभी कभी ऐसे योग होते हैं. जो प्रेम विवाह के योग कहलाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को स्त्री, पति-पत्नी, भोग-विलास और प्रेम संबंधों का कारक माना जाता है.


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम पाने के लिए कुंडली में शुक्र की दशा अच्छी होनी चाहिए क्योंकि प्रेम प्राप्ति में शुक्र, चंद्रमा और मंगल का अहम योगदान होता है. जब जन्म कुंडली में इन तीन ग्रहों की स्थिति बहुत अच्छी होती है तो दिल मिलना तय होता है. ऐसे में जानिए कुंडली में प्रेम विवाह का योग कब बनता है?



  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रेम विवाह का योग तब बनता है. जब मंगल राहु से या शनि से एक साथ मिल रहा हो.

  • जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सप्तमेश पर राहु, शुक्र या शनि की दृष्टि विराजमान हो तब प्रेम विवाह का योग बनता है.

  • जन्म कुंडली में शुक्र और मंगल का कोई योग बनता है या इन दोनों ग्रहों का आपस में कोई संबंध होता है तो प्रेम योग बनता है और आपके जीवन में प्यार की बहार आ जाती है.

  • जन्म कुंडली में जब पंचम स्थान पर राहु और केतु दोनों स्थित हो. तब प्रेम विवाह संभव होता है.

  • जन्म कुंडली में शुक्र या चन्द्रमा लग्न से पंचम या नवम हों तो प्रेम विवाह कराते हैं.

  • पंचम और सप्तम के स्वामी कुंडली में जब एक साथ आ जाएं तो ग्रहों की यह दशा प्रेम जीवन के लिए सकारात्मक स्थिति बनाती है.


जिन जातकों की कुंडली में ये योग नहीं है वो ये उपाय करे:


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रेम विवाह के लिए तीन माह तक लगातार हर गुरुवार को किसी भी मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाएं और फिर उस भोग को लोगों में भी बांटें. इससे जल्द ही प्रेम विवाह के योग बनने लगते हैं.    


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