Varalakshmi Vratam 2022: वरलक्ष्मी व्रत आज है? जानें महत्व और पूजा विधि
Varalakshmi Vratam 2022: वरलक्ष्मी व्रत आज है. ये व्रत लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है. जिन लोगों के जीवन में धन संबंधी समस्या चल रही है, उनके लिए यह व्रत बहुत ही लाभकारी माना गया है.
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Varalakshmi Vratam 2022: पंचांग के अनुसार आज का दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत ही विशेष है. 5 अगस्त 2022 को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष का आखिरी शुक्रवार है. इस दिन वरलक्ष्मी का व्रत रखने की परंपरा है. मान्यता है कि इस व्रत को विधि पूर्वक करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
धन की देवी लक्ष्मी हैं
शास्त्रों में लक्ष्मी जी को धन की देवी बताया गया है. इसके साथ ही ये सुख समृद्धि और वैभव की भी देवी मानी गई है. वरलक्ष्मी व्रत लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु को समर्पित हैं. वरलक्ष्मी व्रत उत्तर भारत सहित आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उड़ीसा में भी बड़ी ही भक्तिभाव से मनाया जाता है.
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
श्रावण मास में की जाने वाली पूजा विशेष मानी गई है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. वरलक्ष्मी व्रत सावन मास का एक प्रमुख व्रत है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से जीवन में समृद्धि आती है. मान सम्मान में बढ़ता है और जिन लोगों के जीवन में धन की कमी बनी हुई है, उन्हें धन की प्राप्ति होती है.
पौराणिक मान्यता
मान्यता है कि दूधिया महासागर में वरलक्ष्मी जी का अवतार हुआ था. दूधिया महासागर को क्षीर सागर के नाम से भी जाना जाता है. वरलक्ष्मी जी का यह भव्य रूप सभी को वर देने वाला माना गया है. लक्ष्मी जी का ये अवतार कलियुग में सभी की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला बताया गया है. ऐसा भी माना जाता है कि जो कर्ज, दरिद्रता आदि की समस्या से परेशान हैं, उनके लिए यह व्रत बहुत ही पुण्यकारी माना गया है.
वरलक्ष्मी व्रत पूजा सामग्री
आज के दिन भक्तिभाव से वरलक्ष्मी जी की स्तुति करनी चाहिए. इस दिन वरलक्ष्मी जी की इन चीजों से पूजा करनी चाहिए-
- पुष्प
- कुमकुम
- हल्दी
- चंदन
- विभूति
- शीशा
- कंघा
- आम की पत्तियां
- पान पत्ता
- पंचामृत
- दही
- 5 प्रकार के फल जिसमें केला अवश्य हो
- दूध
- गंगा जल
- धूप
- अगरबत्ती
- मोली
- कपूर
- अक्षत आदि
वरलक्ष्मी पूजा विधि
जिस स्थान पर वरलक्ष्मी जी को स्थापित करें उसे गंगजल से शुद्ध करें. इाके बाद स्वच्छ वस्त्र वरलक्ष्मी जी को धारण कराएं. श्रंगार करें. भगवान गणेश जी के साथ वरलक्ष्मी जी की मूर्ति रखें. पूर्व दिशा में वरलक्ष्मी जी का मुख होना चाहिए. इसके बाद पूजन प्रारंभ करना चाहिए. पूजन के दौरान वरलक्ष्मी व्रत की कथा का पाठ अवश्य करें. इस दिन अष्ट लक्ष्मी के स्वरूपों की भी पूजा की जाती है-
- आदि लक्ष्मी
- धन लक्ष्मी
- धान्य लक्ष्मी
- गज लक्ष्मी
- संतान लक्ष्मी
- वीर लक्ष्मी
- जय लक्ष्मी
- विद्या लक्ष्मी
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