Varuthini Ekadashi 2021: पंचांग के अनुसार 7 मई 2021 शुक्रवार को वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है. वैशाख मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. वैशाख के महीने में भगवान विष्णु की पूजा के साथ भगवान शिव और ब्रह्माजी की पूजा का भी विशेष पुण्य बताया गया है. 


वरुथिनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी व्रत को विधिपूर्वक पूर्ण करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जिन लोगों के जीवन में मृत तुल्य कष्ट बना हुआ है, उन्हें इस व्रत को करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है और कष्ट दूर होता है.


वरुथिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार राजा मांधाता बहुत दानी और तपस्वी राजा माने जाते थे. उनकी ख्याति चारों तरफ फैली हुई थी. एक बार वे जंगल में तपस्या कर रहे थे. तभी वहां अचानक एक भालू आग गया और उनके पैरों को खाने लगा. इसके बाद भी राजा मांधाता अपनी साधना में लीन रहे. उन्हें क्रोध भी नहीं आया. उन्होंने भालू से कुछ नहीं कहा. लेकिन जब उन्हें दर्द और पीड़ा अधिक होने लगी तो राजा ने भगवान विष्णु का स्मरण किया.


भक्त की पुकार पर भगवान विष्णु राजा की मदद को आए और राजा के प्राण बचाए. लेकिन भालू तब तक राजा के पैरों को काफी नुकसान पहुंचा चुका था. राजा यह देखकर दुखी हुए लेकिन भगवान विष्णु ने कहा कि राजा परेशान न हो, क्योंकि भालू ने तुम्हें उतना ही नुकसान पहुंचाया है जितना पिछले जन्म में तुम्हारे पाप कर्म थे. भगवान विष्णु ने तब राजा से कहा कि तुम्हारे पैर ठीक हो जाएंग यदि तुम मथुरा की भूमि पर वरुथिनी एकादशी का व्रत करो. राजा ने भगवान की बात का पालन किया और उसके पैर ठीक हो गए.


वरुथिनी एकादशी व्रत, मुहूर्त
वरुथिनी एकादशी व्रत 7 मई 2021, शुक्रवार 
एकादशी तिथि आरंभ: 06 मई 2021 को दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से.
एकादशी तिथि समापन: 07 मई 2021 को शाम 03 बजकर 32 मिनट पर.
द्वादशी तिथि समाप्त: 08 भी को शाम 05 बजकर 35 मिनट पर.
एकादशी व्रत पारण मुहूर्त: 08 मई को प्रात: 05 बजकर 35 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक.


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