वास्तु शास्त्र में दिशाओं को बहुत अधिक महत्व दिया गया है. वास्तु में दिशाओं को ध्यान में रखकर ही भवन निर्माण होता है. दिशाओं के आधार पर ही घर का इंटीरियर डेकोरेशन किया जाता है. यदि आपके घर का निर्माण गलत दिशा में हुआ है या फिर आपके घर में सामान गलत दिशाओं में रखा गया है तो आपको समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
वास्तु में 8 दिशाएं मानी गई है. सभी दिशाओं के अलग-अलग देवता माने गए हैं. ये दिशाएं पंचतत्वों की होती हैं.
उत्तर दिशा: तत्व- जल, देवता- कुबेर
इस दिशा में मंदिर रख सकते हैं. घर का मुख्य द्वार भी दिशा में रख सकते हैं.
दक्षिण दिशा: तत्व पृथ्वी, देवता- यम
इस दिशा में भारी सामान रखना चाहिए
पूर्व दिशा: तत्व- अग्नि, देवता- इंद्र
इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं. इसलिए इस दिशा में घर में एक खिड़की जरूर होनी चाहिए. सोने और पढ़ने के लिए यह दिशा उपयुक्त है.
पश्चिम दिशा: तत्व- वायु, देवता- वरुण
रसोईघर इस दिशा में होना चाहिए.
उत्तर-पूर्व दिशा: तत्व- जल, देवता - रुद्र
इसे ईशान कोण भी कहते हैं. इस दिशा में मंदिर बनवाना चाहिए.
उत्तर-पश्चिम दिशा: तत्व- वायु, देवता- पवनदेव
इस दिशा को वायव्य कोण भी कहते हैं. इस दिशा में गंदगी नहीं होनी चाहिए. यहां बेडरूम बनवाना उचित रहता है.
दक्षिण-पूर्व दिशा: तत्व- अग्नि, देवता- अग्निदेव
इस दिशा को आग्नेय कोण भी कहते हैं. इस दिशा में रसोईघर बनवाना चाहिए.
दक्षिण-पश्चिम: तत्व- पृथ्वी है, स्वामी राहु
इस दिशा को नैऋत्य कोण भी कहते हैं.इस दिशा में भारती चीजें रखनी चाहिए. कहीं-कहीं इस दिशा के देवता नैरूत भी बताए गए हैं.
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एबीपी न्यूज़
Updated at:
09 Mar 2021 04:57 PM (IST)
यदि आपके घर का निर्माण गलत दिशा में हुआ है या फिर आपके घर में सामान गलत दिशाओं में रखा गया है तो आपको समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
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