Vastu Dosh: मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी वास्तु का प्रभाव पड़ता है. कई बार ऐसा होता है कि दवा-परहेज करने के बाद भी बीमारी व्यक्ति का पीछा ही नहीं छोड़ती. शास्त्रों में कहा जाता है कि प्रथम सुख निरोगी काया अर्थात शरीर को स्वस्थ रखना व्यक्ति का प्रथम लक्ष्य है. यदि मनुष्य का शरीर स्वस्थ होता है तो वे अपने दैनिक कार्यों को सुचारू ढंग से करने में सक्षम रहता है.


यदि घर के ईशान कोण (Ishan kon) यानी उत्तर-पूर्व दिशा में टॉयलेट (Toilet) या फिर सीढ़ियां बनी होती हैं तो घर की मुख्य महिला ही नहीं, बल्कि अन्य सदस्यों को भी मानसिक तनाव या मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.


वास्तु की कौन सी गलतियों से क्या बीमारी होती है ? (Vastu Dosh Creat Health problem)


घर की इस दिशा को न करें बंद - घर की उत्तर एवं उत्तर-पूर्व दिशा का बंद होना और दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा का खुला होना भी एक गंभीर वास्तु दोष है. ऐसा होने पर घर के भीतर बीमारी और खर्च दोनों ही अत्यधिक बढ़ जाते हैं.


रसोई में गलती - किचन (Kitchen vastu) के चूल्हे पर खाना बनाते समय घर की महिला का मुंह भूलकर भी दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए. ऐसी सूरत में कमर दर्द, सर्वाइकल, जोड़ों का दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.


सोने की दिशा - पूर्व दिशा में सिर यानी पश्चिम दिशा में पैर (Sleeping direction) करके सोना स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा होता है. दरअसल, सूरज पूर्व दिशा की ओर से निकलता है. सूरज की पहली किरण पूर्व दिशा में ही देखने को मिलती है. उत्तर दिशा की तरफ सिर करके सोने से माइग्रेन, साइनस, सिर दर्द जैसी बीमारियां हो सकती हैं. बैड के सामने शीशा होने से सोते समय छवि दर्पण में नज़र आने से व्यक्ति धीरे-धीरे बीमार होने लगता है.


शौचालय कहां हो - ईशान कोण में बना शौचालय बहुत बड़ा वास्तु दोष माना जाता है. देवस्थान पर बना टॉयलेट घर की महिलाओं को न सिर्फ बीमार बनाता है बल्कि संतान सुख में भी कमी आती है.


ईशान कोण - घर का ईशान कोण ऊंचा हो और बाकी सभी दिशाएं उससे नीची हों तो घर की महिलाओं को गंभीर बीमारी होने की आशंका बनी रहती है.


वास्तु दोष के कारण होती हैं ये बीमारियां (Vastu Tips to remove Vastu dosh)


अनिद्रा


वास्तु शास्त्र में पूर्व तथा उत्तर दिशा का हल्का और नीचा होना तथा दक्षिण व पश्चिम दिशा का भारी व ऊंचा होना अच्छा माना गया है. यदि पूर्व दिशा में भारी निर्माण हो तथा पश्चिम दिशा एकदम खाली व निर्माण रहित हो तो अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है. उत्तर दिशा में भारी निर्माण हो परन्तु दक्षिण और पश्चिम दिशा निर्माण रहित हो तो भी ऐसी स्थिति उत्त्पन्न होती है. अनिद्रा से आपको कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं तो इस वास्तु का ध्यान रखकर आप स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.


चक्कर, बेचैनी और सिरदर्द


गृहस्वामी अग्निकोण या वायव्य कोण में शयन करें या उत्तर में सिर व दक्षिण में पैर करके सोए तब भी अनिद्रा या बेचैनी, सिरदर्द और चक्कर जैसी परेशानी हो सकती है, जिसके कारण दिन भर थकान की समस्या हो सकती है. धन आगमन और स्वास्थ्य की दृष्टि से दक्षिण या पूर्व की ओर पैर करना अच्छा माना गया है.


हार्ट अटैक, लकवा, हड्डी और स्नायु रोग


वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार या हल्की चाहरदीवारी अथवा खाली जगह होना शुभ नहीं है. ऐसा होने से हार्ट अटैक, लकवा हड्डी एवं स्नायु रोग संभव हैं. अतः यहां प्रवेश द्वार या खाली जगह छोड़ने से बचना चाहिए.


हड्डी के रोग


रसोई घर में भोजन बनाते समय यदि गृहणी का मुख दक्षिण दिशा की ओर है तो त्वचा एवं हड्डी के रोग हो सकते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन पकाने से पैरों में दर्द की संभावना भी बनती है. इसी तरह पश्चिम की ओर मुख करके खाना पकने से आंख, नाक, कान एवं गले की समस्याएं हो सकती है. पूर्व दिशा की ओर चेहरा करके रसोई में भोजन बनाना स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ माना गया है.


वायु रोग और रक्त विकार


दीवारों पर रंग-रोगन भी ध्यान से करवाना चाहिए. काला या गहरा नीला रंग वायु रोग, पेट में गैस, हाथ-पैरों में दर्द, नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर, गहरा लाल रंग रक्त विकार या दुर्घटना का कारण बन सकता है. अच्छे स्वास्थ्य के लिए दीवारों पर दिशा के अनुरूप हल्के एवं सात्विक रंगों का प्रयोग करना चाहिए.


जोड़ों का दर्द और गठिया


वास्तु शास्त्र के अनुसार, ध्यान रहे कि आपके भवन की दीवारें एकदम सही सलामत हों, उनमें कहीं भी दरार या रंग रोगन उड़ा हुआ या फिर दाग-धब्बे आदि न हों वरना वहां रहने वालों में जोड़ों का दर्द, गठिया, कमर दर्द, सायटिका जैसे समस्याएं हो सकती हैं.


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