Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र में दिशा (Direction) और ऊर्जा (Energy) के बारे में विस्तार से बताया गया है. वास्तु के अनुसार हर दिशा का संबंध किसी न किसी देवता (God) से होता है. ऐसे में देवता से संबंधित चीजें ही उस दिशा या स्थान में रखना शुभ होता है. गलत चीजें यदि गलत दिशा में रखी जाए या गलत तरीके से घर का निर्माण कराया जाए तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है और घर पर नकारात्मकता आती है.   


सामान्यत: चार दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण होती है. लेकिन इसके अलावा चार विदिशाएं होती हैं, जिन्हें ईशान कोण, नैऋत्य कोण, वायव्य कोण और आग्नेय कोण कहा जाता है.


आग्नेय कोण का संबंध किस देवता से


बात करें आग्नेय कोण की तो यह दक्षिण-पूर्व दिशा और अग्नि का स्थान होता है. अग्नि से संबंधित होने के कारण इसका संबंध अग्नि देव से होता है. साथ ही इस दिशा के स्वामी शुक्र देव हैं. आग्नेय कोण पर मंगल ग्रह का भी आधिपत्य होता है.


आग्नेय कोण में कैसी एनर्जी होती है


आग्नेय कोण यानी पूर्व-दक्षिण के मध्य स्थान में सूर्य की किरणों का अधिक वर्चस्व रहता है. वहीं यह अग्नि देव का स्थान होता है, इसलिए यहां सबसे अधिक गर्म एनर्जी होती है. ऐसे में यहां हर वस्तु रखना या किसी भी कमरे का निर्माण कराना शुभ नहीं होता है. आप यहां बिजली के उपकरण, भट्टी, बॉयलर, इन्वर्टर आदि जैसी गर्म या बिजली से संबंधित चीजें रख सकते हैं. लेकिन भूलकर भी यहां जल तत्व से जुड़ी चीजें बोरिंग कराना, हैंडपंप, पानी की टंकी आदि का काम न कराएं. क्योंकि अग्नि और जल विरोधी तत्व हैं.


आग्नेय कोण का संबंध शुक्र से भी है, जोकि स्त्री कारक ग्रह है. इसलिए यहां पति-पत्नी का शयन कक्ष भी नहीं होना चाहिए. यहां बेडरूम बनवाने से वैवाहिक जीवन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा सैप्टिक टैंक, पूजाघर, तिजोरी आदि भी यहां नहीं बनवाना चाहिए.


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