Vastu Tips For Home: नया घर या फ्लैट खरीदते समय वास्तु शास्त्र काफी महत्व दिया जाता है. कुछ लोगों को लगता है कि अपार्टमेंट के लिए वास्तु पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन वास्तविकता यह है कि किसी भी स्थान के लिए वास्तु का पालन जरूर किया जाना चाहिए, चाहे वह एक स्वतंत्र घर हो या एक फ्लैट. सार्वजनिक सुरक्षा के लिए कुछ दिशानिर्देश बनाए गए हैं. 


ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि दरअसल वास्तु दोष के कारण नए घर या फ्लैट आपके लिए समस्या पैदा कर सकते हैं. उनसे आपको सेहत, नौकरी, करियर आदि में कई परेशानी हो सकती है. इस वजह से ही लोग जब घर या फ्लैट खरीदते हैं, तो उसमें वास्तु के कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. यदि आप कोई घर या फ्लैट खरीदने का विचार कर रहे हैं तो उसे खरीदने से पूर्व इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि कहीं उस घर में वास्तु दोष तो नहीं है. 



इसके लिए आप वास्तु विशेषज्ञ की मदद भी ले सकते हैं. दरअसल वास्तु दोष के कारण नए घर या फ्लैट आपके लिए समस्या पैदा कर सकते हैं. उनसे आपको सेहत, नौकरी, करियर आदि में कई परेशानी हो सकती है. इस वजह से ही लोग जब घर या फ्लैट खरीदते हैं, तो उसमें वास्तु के कुछ नियमों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. 


मुख्य द्वार 


अगर आप एक अपार्टमेंट खरीद रहे हैं, तो ब्लॉक के प्रवेश द्वार को उसका मुख्य द्वार माना जाएगा. प्रवेश द्वार उत्तर या उत्तर पूर्व में होना चाहिए. भवन के चारों ओर पर्याप्त खुली जगह होनी चाहिए. आपके घर या फ्लैट के मुख्य द्वार के ठीक सामने लिफ्ट, कोई दीवार या बड़ा पेड़ आदि न हो. यदि ऐसा है, तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न होता है. 


सूरज की रोशनी और क्रॉस वेंटिलेशन 


वास्तु में उचित प्राकृतिक प्रकाश और वेंटिलेशन का बहुत महत्व है, इसलिए सुनिश्चित करें कि घर में पर्याप्त धूप आ रही हो और घर में अच्छा क्रॉस वेंटिलेशन हो. इन दोनों दिशाओं में से किसी एक में खिड़कियों और बालकनी के साथ उत्तर या पूर्व की ओर वाला फ्लैट आदर्श माना जाता है. सुबह की धूप सकारात्मकता लाती है जबकि दोपहर की अवरक्त किरणें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं, इसलिए यदि कोई खिड़की दक्षिण या पश्चिम में है तो यह वास्तु दोष के अंतर्गत आती हैं. ऐसा घर लेने से बचना चाहिए. 


दीवार दूसरे घर से जुड़ी न हो


दक्षिण या दक्षिण-पश्चिमी दीवार पर खिड़कियां आकार में छोटी होनी चाहिए. वास्तु के अनुसार घर में पड़ोसी के घर के साथ दीवार जुड़ी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे मिश्रित ऊर्जा पैदा होती है, इसलिए भवन के चारों तरफ खुली जगह छोड़नी चाहिए. चूंकि उत्तर और पूर्व में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है, इसलिए भवन के उत्तर और पूर्व की ओर दक्षिण और पश्चिम की ओर की तुलना में अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए.


उत्तर-पूर्व में रसोईघर नहीं होना चाहिए 


आपको ऐसा फ्लैट खरीदने से बचना चाहिए जिसमें उत्तर-पूर्व में किचन हो. चूंकि इमारत का यह हिस्सा सुबह के सूरज का स्वागत करता है इसलिए यह रहने वाले कमरे या ध्यान कक्ष के लिए उपयुक्त है. दक्षिण-पूर्व की दिशा रसोई के लिए आदर्श स्थान है.


वॉटर स्टोरेज टैंक 


बहुमंजिली इमारत में छत के उत्तर-पूर्वी कोने में पानी की टंकी रखनी चाहिए. सुबह-सुबह सूर्य की किरणें पराबैंगनी किरणों से भरपूर होती हैं जो पानी को शुद्ध करने में मदद करती हैं. घर की छत पर प्लास्टिक की टंकी नहीं होनी चाहिए और हो तो वो गहरे रंग की होनी चाहिए. 


शौचालय और स्नानघर 


प्रत्येक फ्लैट में शौचालय और स्नानघर दक्षिण-पश्चिम कोने में या दक्षिण दिशा में बनाए जाने चाहिए. हवा की दिशा उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर होती है. यदि शौचालय उत्तर पूर्व में है तो नकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवेश होगा.


बच्चों के कमरे की दिशा 


वास्तु के अनुसार बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा पर हों चाहिए. बच्चों के कमरे की खिड़की उत्तर की दीवार पर होनी चाहिए. इससे कमरे में पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश आएगा. यदि बच्चों का कमरा उत्तर-पूर्व या उत्तर पश्चिम दिशा पर होने से उनका मन पढ़ाई में लगा रहता है और ध्यान भी एकाग्र रहेगा. 


फ्लैट का आकार


अक्सर फ्लैट्स में यह देखने को मिलता है कि इनका कोई ना कोई हिस्सा बढ़ा हुआ या कटा हुआ होता है. वैसे तो एक भूखंड में या निवास स्थान में किसी भी हिस्से का बढ़ना या कटना सामान्यतया ठीक नहीं माना जाता है, लेकिन इसमें भी कुछ विशेष दिशाएं होती हैं, जिनका कटना या बढ़ना ज्यादा नकारात्मक नतीजे प्रदान करता है. 


उदाहरण के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा जिसे नैऋत्य कोण के रूप में जाना जाता है, इसका कटना या बढ़ना परिवार कि आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति पर अशुभ प्रभाव डालता है. ऐसे ही उत्तर-पूर्व दिशा का कटना भी व्यक्ति के जीवन में संघर्ष का कारण बनता है. हालांकि फ्लैट में अगर उत्तर-पूर्व दिशा कुछ बढ़ी हुई हो, तो यह व्यक्ति को आर्थिक उन्नति प्रदान करने में बहुत लाभकारी रहता है.


कमरों की दिशाएं


एक निवास स्थान में कुछ गतिविधियों और कमरे, ऐसे होते हैं जिनका कुछ विशेष दिशाओं में होना वास्तु के अंतर्गत बेहद नकारात्मक परिणाम प्रदान करती है, जैसे कि उत्तर-पूर्व में निर्मित टॉयलेट एक ऐसा वास्तु दोष है, जिससे हर हाल में बचना चाहिए. 


इसी प्रकार अगर आपका बेड दक्षिणी नैऋत्य में स्थित है, तो यह वहां पर सोने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को ख़राब करने और अनावश्यक खर्चों को बढ़ाने का काम करेगा. बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण और पश्चिम अच्छी दिशाएं हैं.


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