Vastu Shastra: सपनों का घर बनाने का सपना हर व्यक्ति का होता है. लेकिन कभी-कभी गलत भूखंड या जमीन पर घर बनाने के बाद परिवार के सदस्य परेशानियों में रहते हैं. इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि भवन निर्माण के लिए भूमि या भूखंड का चयन वास्तु शास्त्र के अनुसार किया जाए.


वास्तु शास्त्र में भवन निर्माण करने से पहले भूमि के परीक्षण के कुछ नियम बताए गए हैं. इन नियमों का पालन करने पर भविष्य में होने वाले नुक्सानों से सुरक्षा मिलती है. आइये जानते हैं इन नियमों के बारे में-


प्राकृतिक स्थिति-


प्राकृतिक स्थिति का मतलब भूमि की बनावट और जल संसाधन आदि से है. अगर पूर्वोत्तर दिशा की तरफ सड़क या नदी तालाब अथवा जल का कोई और संसाधन हो और खुला स्थान हो तो घर बनाने के लिए यह जगह अच्छी रहती है.


शकुन शास्त्र - 


जिस भूमि पर जाने से आपका मन प्रसन्न हो जाए, आपमें आत्मविश्वास जगह और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा जाग उठे. वह भूमि भी मकान बनाने के लिए अच्छी रहती है.


वनस्पति - 


जिस भूमि पर सामान्य वृक्ष, घास, झाड़ आदि हो वह भूमि एक सामान्य भूमि होती है, जिस पर मकान बनाना शुभ रहता है. इसके विपरीत जो रेतीली, बंजर, कंकड़ या पत्थर वाली हो और उजाड़ हो वह भूमि अशुभ रहती है. जहां फल-फूल के पौधे अधिक हो वह भूमि सबसे अच्छी मानी जाती है. ऐसी भूमि पर मकान बनाने से हमेशा धन और वंश में वृद्धि होती है.


भूमि का घनत्व -


भूमिका घनत्व जानने के दो मुख्य तरीके हैं-


[1] 1×1×1 फ़ीट लम्बाई चौड़ाई और गहराई वाला खड्डा कोड़े और उसकी मिट्टी को वापस भर दें. यदि खड्डा भरने के बाद कुछ मिट्टी शेष बच जाती है तो यह भूमि मकान बनाने के लिए बहुत बढ़िया रहती है. यदि मिट्टी वापस भरने पर समतल हो जाती है तो एक सामान्य भूमि होती है. इसमें बहुत अधिक लाभ नहीं होता है और हानि भी नहीं होती है. लेकिन यदि मिट्टी वापस डालने पर कम पड़ जाए तो यह बहुत ही अधिक धन व्यय करवाने वाली भूमि होती है तथा ऐसी भूमि पर मकान बनाने से बीमारियां अधिक होती हैं.


[2] 1.5×1.5×1.5 फ़ीट गहरा खड्डा खोदें तथा शाम को उसे पानी से भर दें. अगले दिन सुबह वापस आकर देखें, यदि खड्डे में पानी रहता है तो यह मकान बनाने के लिए अच्छी भूमि मानी जाएगी, यह मजबूत भूमि होती है. यदि गीलापन रहता है लेकिन पानी सूख जाता है तो यह मध्य भूमि है. लेकिन यदि दरारें पड़ जाए, आसपास से मिट्टी गिर जाए तो यह भूमि मकान निर्माण के लिए अच्छी नहीं मानी जाती.


उर्वर क्षमता -


जिस भूमि पर मकान बनाना हो उसे भूमि पर जो मूंग, सरसों, तिल या गेहूं आदि जैसे जल्दी उगने वाले बीज बो दें. यदि 3 दिन में अंकुर आ जाए तो यह भूमि श्रेष्ठ भूमि कही जाएगी, इस पर मकान बनाने से संपत्ति लाभ होता है तथा कुल में वृद्धि होती है. यदि 5 दिन में अंकुर आते हैं तो यह भूमि मध्य भूमि मानी जाएगी. यदि 7 दिन के बाद अंकुर आए या अंकुर ना आए तो यह भूमि अशुभ मानी जाएगी.


हालांकि इस परीक्षण को करते समय मौसम का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि यदि बरसात के समय में इस प्रकार के परीक्षण करेंगे तो हो सकता है पानी की अधिकता से बीज सड़ जाएंगे.


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