Vastu Tips: वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) प्राचीन भारतीय ज्योतिष पर आधारित है, जिसमें दिशाओं (Directions) का विशेष महत्व है. हर दिशा जीवन के एक पहलू को दर्शाती है.
उत्तर दिशा धन को, दक्षिण धर्म को, पश्चिम समृद्धि को और पूर्व दिशा सफलता को दर्शाती है. वास्तु का प्रयोग घर में सकारात्मकता ऊर्जा को बढ़ाने के लिए किया जाता है. वास्तु के सही उपयोग से आप अपने घर में संतुलन ला सकते हैं.
एक घर को घर बनाने के लिए उसमें सही तरह की ऊर्जा का संचार होना आवश्यक है. हर घर की अपनी एक अलग ऊर्जा होती है, जो घर में रहने वाले सदस्यों के जीवन पर प्रभाव डालती है.
इससे मनुष्य प्रकृति के तत्व जैसे-
- पृथ्वी (Earth)
- जल (Water)
- अग्नि (Fire)
- वायु (Air)
- अंतरिक्ष (Universe)
को संतुलित करके अपने जीवन में धन, स्वस्थ स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त कर सकता है.
वास्तु के अनुसार घर का प्रवेश द्वार पूर्व (East) या उत्तर (North) की ओर होना शुभ माना जाता है और वहीं दक्षिण (South) और पश्चिम (West) की ओर मुख किए हुए मुख्य द्वार अशुभ माने जाते है. घर की रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित होनी चाहिए इससे घर में तत्वों को संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है.
लिविंग रूम (Living Room) को धन और समृद्धि का स्थान माना जाता है इसलिए यह उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित होना चाहिए. बेडरूम (BedRoom) का आकार चौकोर या आयताकार होना अच्छा होता है. बेडरूम में आईना (Mirror) लगाते समय ये ध्यान रखें कि उसमें बेड न दिखाई दे.
बाथरूम (BathRoom) का उत्तर-पश्चिम दिशा में होना घर के सदस्यों के कल्याण के लिए अनिवार्य है. अध्ययन कक्ष का घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होने से बच्चों का मन पढ़ाई में अधिक लगता है. वहीं खिड़कियाँ (Window) घर में पूर्व, उत्तर या पश्चिम की दीवारों पर हो तो शुभ होती हैं.
पौधों को पूर्व या उत्तर दिशा में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. वहीं उन्हें दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. घर में शांति, संतुलन और समृद्धि के लिए उसको साफ रखें और हमेशा घर में उजाला रखें इससे घर का वातावरण अनुकूल बना रहता है.
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