Vastu Tips: वास्तु शास्त्र भगवान विश्वकर्मा जी का शास्त्र है. विश्वकर्मा जी शिल्प कला और वास्तु शास्त्र सहित अन्य कहीं शास्त्रों के जनक हैं. देवी देवताओं के महलों की रचना तथा उनके विभिन्न प्रकार के मनमोहक आवासों की रचना करना विश्वकर्मा जी का कार्य है. इनके द्वारा बनाए गए महलों में देवताओं को हमेशा सुख समृद्धि ही मिली है. इसका मुख्य कारण वास्तु शास्त्र का ज्ञान है.


भगवान विश्वकर्मा जी के अनुसार ऐसे भवन का निर्माण कर पाना असंभव है जो की 100 प्रतिशत ही सकारात्मक हो. हर भवन में कुछ ना कुछ ऐसा बिन्दु होता ही है जिसमें थोड़ा बहुत नकारात्मक प्रभाव होता है. दाल में नमक जितना नकारात्मक प्रभाव एक आम बात है इसको हम नजर अंदाज कर सकते हैं, लेकिन यदि नकारात्मक प्रभाव बड़े स्तर पर हुआ तो वह हमारे जीवन को प्रभावित करके नुकसान कर सकता है.


इस नकारात्मक प्रभाव को काम करने के लिए विश्वकर्मा जी ने कुछ ऐसे उपाय बताएं हैं जो कि बिना किसी तोड़फोड़ किए हमारी समस्याओं को सुलझा सकते हैं. जब कभी किसी भी भवन का निर्माण करना हो तो उसे समय वास्तु के नियमों का हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि हमें सकारात्मक परिणाम मिले. तो लिए आज हम जानेंगे पूर्व दिशा के बारे में और जानेंगे कि पूर्व दिशा में क्या-क्या चीज होनी चाहिए.


पूर्व दिशा- पूर्व दिशा सूर्य देव की दिशा है पूर्व दिशा में सूर्यदेव तथा चंद्रदेव उदय होते हैं. वैसे तो सूर्य देव को लाल रंग अति प्रिय है लेकिन वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा को पित्त वर्णन अर्थात पीले वर्णन वाली दिशा कहा गया है और पूर्व दिशा में लाल अथवा पीले रंग के पर्दे शुभ माने जाते हैं. यदि मकान का मुख्य दरवाजा पूर्व दिशा की ओर हो तो यह मकान के लिए एक शुभ संकेत होता है.


इससे मकान में सुख समृद्धि आती है तथा ऐसे घर में रहने वाले लोग हमेशा महत्वाकांक्षी बने रहते हैं. इसका कारण पूर्व दिशा से सूर्य देव की आने वाली रोशनी और ऊर्जा है पूर्व दिशा में सूर्य एवं चंद्रमा उदय होते हैं, जो की निरंतर प्रगति का प्रतीक है और साथ ही हमें यह भी ज्ञान देते हैं कि जिसका उदय हुआ है उसका अस्त भी होगा और जो आज पूरा है कल वह अधूरा भी होगा और जो अधूरा है वह एक दिन पूरा भी होगा.


जीवन में समय सदा एक सा नहीं रहेगा. लेकिन जिस तरह से सूर्य रोज उदय होता है इस तरह व्यक्ति को जीवन में हार जाने या अस्त हो जाने की निराशा ना रखें, हमेशा सूर्य की तरह उदय होने वाला बनना चाहिए.


पूर्व दिशा में सावधानियां- पूर्व दिशा में भारी समान नहीं रखना चाहिए व्यर्थ की वस्तुएं जैसे कबाड़ आदि नहीं रखना चाहिए. जितना संभव हो सके पूर्व दिशा की तरफ स्थान बढ़ाना चाहिए. यदि पूर्व दिशा की तरफ स्थान काम होता है तो यह एक तरीके से इस दिशा के देवता के अपमान करने जैसा है यदि इस दिशा में शौचालय आदि बनाए हो तो वह जीवन में उन्नति के पथ पर बाधाएं उत्पन्न होने का कारण बन सकता है.


पूर्व दिशा की तरफ स्थान समतल या हल्की सी ढलान वाला होना चाहिए, पूर्व दिशा के स्थान को ऊंचा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सूर्य की आने वाली रोशनी को रोकते हैं और धन हानि का कारण बनते हैं. पूर्व दिशा में बहुत तुमसे पेड़ नहीं होने चाहिए जिनकी छाया घर पर पड़े यह भी अपने आप में नकारात्मक प्रभाव देते हैं और मन में उदासियां भर देते हैं, अनिद्रा और तनाव जैसी परेशानियां इनके कारण जन्म लेती हैं.


पूर्व दिशा में क्या हो- पूर्व दिशा में जितना संभव हो सके स्थान साफ रखना चाहिए भूमि समतल होनी चाहिए और यदि घर का कोई दरवाजा पूर्व दिशा की तरफ नहीं है तो कमरों की खिड़कियां पूर्व दिशा की तरफ अवश्य होनी चाहिए जो कि सूर्य की रोशनी कमरों में आने दे इससे हमारा सकारात्मक बाल बढ़ता है और जीवन में उन्नति के मार्ग खुलते हैं. दिन के समय पूर्व दिशा की खिड़कियां खुली रखें ताकि सूर्य की किरणें कमरे में प्रवेश करके नकारात्मकता समाप्त करें.


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