World Laughter Day 2024: हंसना और खुश रहना ही जीवन का असली आनंद है. इसलिए हर साल मई के पहले रविवार को विश्व हास्य दिवस मनाया जाता है. इस साल 5 मई 2024 को वर्ल्ड लाफ्टर डे या विश्व हंसी दिवस मनाया जाएगा. 


हास्य दिवस भी हंसी के महत्व को दर्शाते के लिए मनाया जाता है. इस दिन को लोग हंसी-खुशी सेलिब्रेट करते हैं, एक-दूसरे से हंसी मजाक करते हैं, दोस्तों के साथ समय बिताते हैं और जीवन का भरपूर आनंद लेते हैं. हंसना हमें अधिक सकारात्मक बनाता है. इसलिए हंसना बेहद जरूरी है. 


आस-पास सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे, इसके लिए लोग अपने घर और दफ्तर आदि में लाफिंग बुद्ध की छोटी-बड़ी मूर्ति रखते हैं. आपने भी लाफिंग बुद्धा की ऐसी मूर्ति कई घरों या दुकानों में देखी होगी या शायद गोल-मटोल हंसते हुए लाफिंग बुद्ध की मूर्ति आपके घर पर भी हो. लाफिंग बुद्धा की मूर्ति को गुड लक और सुख-समृद्धि से भी जोड़ा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर लाफिंग बुद्धा कौन थे और ये हमेशा क्यों हंसते रहते हैं.


हास्य दिवस पर लाफिंग बुद्धा की कहानी इसलिए भी जानना जरूरी है, क्योंकि लोगों को हंसाना और खुश देखना इनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य था. आइये विश्व हास्य दिवस पर जानते हैं लाफिंग बुद्धा की हंसी का राज.


लाफिंग बुद्धा को भगवान की तरह पूजा जाता है


चीन में लाफिंग बुद्धा को लोग भगवान की तरह पूजते हैं. फेंगशुई के अनुसार, इनकी मूर्ति जहां रहती है, वहां से नेगेटिविटी दूर चली जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. भारतीय सभ्यता में जो स्थान भगवान कुबेर को प्राप्त है, वहीं स्थान चीन में लाफिंग बुद्धा का है. इन्हें धन का देवता माना जाता है. इसलिए इनके पास हमेशा एक पोटली भी देखी जाती है.


लाफिंग बुद्धा और इनके हंसने की कहानी


चीनी सभ्यता से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार, लाफिंग बुद्धा महात्मा बुद्ध के कई शिष्यों में से एक थे. इनका नाम था होतेई जोकि जापान के थे. कहा जाता है कि जब होतेई बौद्ध बने और उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई तब वे जोर-जोर से हंसने लगे.


इसके बाद होतेई कहीं भी जाते तो वहां लोगों को खूब हंसाते और खुश करते. इन्होंने लोगों को हंसाना और खुश रखना ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया. इस तरह से इनका नाम लाफिंग बुद्धा पड़ा.


लाफिंग बुद्धा को लेकर एक मान्यता यह भी है कि, चीन में इन्हें देवता माकर पूजा जाता है. वहां लाफिंग बुद्धा को पुताइ कहा जाता है, जोकि एक भिक्षुक थे. ऐसे भिक्षुक जिन्हें हंसना-हंसाना, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करना पसंद था. वो अपने बड़े पेट, विशाल बदन और गोल-मटोल रूप से सभी को खूब हंसाते थे. इस तरह से वो बच्चों के बीच भी बहुत लोकप्रिय हो गए थे. इसलिए लोग इनकी मूर्ति को घर पर रखने लगे.


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