ये तो आप जानते ही होंगे कि वास्तु शास्त्र दिशाओ(Vastu Shastra Direction) पर ही केंद्रित होता है. यानि दिशाओं का इस शास्त्र में बहुत महत्व है. वास्तु जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है. ठीक उसी तरह घर के खिड़की और दरवाज़ों के बारे में भी वास्तु बहुत कुछ कहता है. 


घर में खिड़की व दरवाज़े किस दिशा में हो, किस दिशा में ना हो, किस तरह से निर्मित हो. ये सभी बातें जीवन की सफलता और असफलता को प्रभावित करती हैं. आइए जानते हैं खिड़की व दरवाज़ों से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स.


खिड़की, दरवाज़ों से जुड़े वास्तु टिप्स(vastu Tips for Door)


वास्तु शास्त्र की माने तो घर में खिड़की व दरवाज़ों का सही दिशा में होना बहुत ही ज़रुरी है क्योंकि ये तरक्की और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं. इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है तो वहीं नकारात्मक एनर्जी बाहर की ओर चली जाती है. 


इस दिशा में दरवाज़ा होता है शुभ


वास्तु में पूर्व दिशा का बहुत ही महत्व माना गया है. लेकिन इस दिशा में मुख्य दरवाज़ा नुकसानदायक हो सकता है. कहते हैं इस दिशा में मेन गेट हो तो दुर्घटना का डर, आर्थिक हानि का भय हमेशा बना रहता है. वहीं कहते हैं इस दिशा में फिजूलखर्ची भी बहुत होती है.


मेन गेट पर ना हो कोई रूकावट


घर का मुख्य दरवाज़ा क्लियर होना चाहिए यानि किसी भी तरह की रुकावट घर के सामने नहीं होनी चाहिए. यानि घर के मुख्य गेट पर कोई पेड़, बड़ा पौधा, सीढि़यां नहीं होनी चाहिए. क्योंकि इससे पॉजीटिव एनर्जी घर में प्रवेश नहीं कर पाती.


घर में कितने हो खिड़की और दरवाज़े


वास्तु शास्त्र की माने तो घर में खिड़की व दरवाज़े सम यानि Even संख्या में होने चाहिए. जैसे 2, 4, 6 या 8. कहते हैं खिड़की - दरवाज़ों की संख्या 10 हो तो शुभ नहीं माना जाता.


ऐसा हो खिड़कियों का आकार


घर में हर खिड़की आकार में एक जैसी ही होनी चाहिए. इससे शुभ फल प्राप्त होते हैं. लेकिन आड़ी टेढ़ी खिड़कियों को अशुभ माना जाता है. 


1 लाइन में तीन दरवाज़े अशुभ


कभी भी घर में भूलकर भी एक लाइन में तीन दरवाज़े नहीं होने चाहिए. वास्तु के लिहाज़ से ये बिल्कुल भी उचित नहीं माना जाता. वहीं इसके अलावा ध्यान रखें कि मुख्य दरवाज़ा घर के कोने में ना हो क्योंकि इससे पॉजीटिव एनर्जी के मार्ग में अड़चन आती है.