दर्पण यानि कि आईना जो हमारी रोज़मर्रा की ज़रुरत की चीज़ों में शामिल है. कुछ लोग तो सुबह उठते ही सबसे पहले आईना ही देखते हैं और उसके बाद ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं. इसीलिए वास्तु शास्त्र में आईने से संबंधित कुछ विशेष नियम बताए गए हैं. जिनका पालन ज़रुर करना चाहिए क्योंकि इससे जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. 


दर्पण घर में किस दिशा में लगाए, किस कमरे में इसे लगाना उचित माना गया है, कहां पर इसे  लगाने से क्या प्रभाव जीवन पर पड़ता है. ऐसी तमाम बातें वास्तु विज्ञान में बताई गई हैं जो हम आपके साथ साझा करने जा रहे हैं.


दर्पण के लिए यह दिशा है उचित


आप जानते ही होंगे कि वास्तु शास्त्र में दिशा कितना महत्व रखती हैं. बल्कि यह विज्ञान तो दिशा पर ही आधारित है. हर वस्तु के लिए एक उचित दिशा निर्धारित है और दर्पण के लिए पूर्व या उत्तर दिशा को उचित माना गया है. घर की पूर्व व उत्तर दिशा में दर्पण लगाना चाहिए. इसका अर्थ ये है कि आईना इस तरह लगाया जाए कि चेहरा देखने वाले का मुख पूर्व या उत्तर की ओर रहे.  इसके पीछे कारण ये है कि इससे विपरीत दिशाओं से आ रही ऊर्जा रिफ्लेक्ट हो जाती है. और मनुष्य नकारात्मक प्रभाव से बच जाता है.


इसके अलावा किन बातों का ध्यान रखना चाहिए वो भी जानें (Vastu Tips for Mirror)




  • कभी भी घर में आईना टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए. अगर घर में दर्पण चटका हुआ है या टूटा हुआ है तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए.

  • कहते हैं अगर टूटा या जिस मिरर में ढंग से अक्स नज़र ना आता हो वो दर्पण मनुष्य के 'ऑरा' को प्रभावित करता है. और इससे नेगेटिव एनर्जी पैदा होती है.

  • जब भी घर में आईना लगाएं तो सदैव इस बात का ध्यान रखें कि आईना आकार में बड़ा लेकिन वज़न में हल्का होना चाहिए.

  • अगर संभव हो तो दर्पण कभी भी बेडरूम में ना लगाएं. वास्तु के नज़रिए से सोने के कमरे में दर्पण नहीं लगाना चाहिए. वहीं अगर किसी वजह से वहां दर्पण लगा है तो ध्यान रखें कि उसमें बेड नज़र नहीं आना चाहिए, इसके लिए उसे सदैव ढक कर रखना चाहिए.

  • किसी और शेप की बजाय गोल आईने का इस्तेमाल लाभकारी माना गया है.