Harsingar Plant Benefit: हर वस्तु अगर वास्तु के हिसाब से रखी जाए तो घर में समृद्धि आती है. ऐसा करने से न सिर्फ जीवन में परेशानियां कम होती है बल्कि वास्तुदोष, पितृदोष, ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति पाने में मदद मिलती. इसी तरह घर में पौधे लगाने के भी अपने नियम शास्त्रों में बताए गए हैं. कुछ ऐसे पेड़-पौधे हैं जिसमें साक्षात मां लक्ष्मी का वास होता है. अगर इनकी अच्छे से देखभाल की जाए तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य के भंडार भर देती हैं. ये पौधा है हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहा जाता है. आइए जानते हैं इस पौधे की खासियत और घर में इसे लगाने की सही दिशा के बारे में.


मां लक्ष्मी का वास


पारिजात का फूल मां लक्ष्मी को बहुत प्रिय है. इसके फूल सुगंधित होते हैं खास बात ये है कि ये अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं. ये आलौकिक फूल सिर्फ रात में खिलते हैं. इन्हें घर में लगाने से घर में शांति का माहौल बना रहता है.


तनाव


हरसिंगार के फूलों की महक में इतनी क्षमता होती है कि इससे तनाव दूर हो सकता है. ये आपके जीवन से मानसिक परेशानियों को दूर कर खुशियां भरने की ताकत रखते हैं. अगर घर के आसपास भी ये पेड़ लगा हो तो इसकी सुगंध मात्र से मन को शांति मिली है.


इस दिशा में लगाएं


घर में नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के लिए हरसिंगार के पौधे को उत्तर या पूर्व दिशा या ईशान कोण में लगाना चाहिए. इससे विवाद की स्थिति पैदा नहीं होती, परिवार के लोगों की उन्नति होती है.


स्वास्थ


मान्यता है कि पारिजात का पौधा घर में लगाने से स्वास्थ लाभ मिलता है और  मां लक्ष्मी की कृपा से दीर्धायु होने का वरदान प्राप्त होता है. धार्मिक महत्व के साथ पारिजात आयुर्वेद में भी लाभदायक है. इसके सेवन से कई बीमारियां खत्म हो जाती हैं.


पारिजात वृक्ष की कहानी


पुराणों के अनुसार पारिजात का पेड़ की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी. नंदन वन में इंद्र देव ने इसे स्थापित किया था. मान्यता है कि हरसिंगार के पेड़ को धरती पर श्रीकृष्ण लेकर आए थे. नरकासुर के वध के पश्चात इंद्र ने श्रीकृष्ण को  इसका फूल भेंट किया था, जिसे श्रीकृष्ण ने देवी रुक्मिणी को दे दिया. इससे उन्हें लंबी उम्र का वरदान प्राप्त हो गया. ये देख देवी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से पूरे पारिजात के पेड़ की मांग की. इसी वृक्ष के चलते इंद्र और श्रीकृष्ण में युद्ध हुआ. हार के बद इंद्र को पारिजात का पेड़ श्रीकृष्ण को सौंपना पड़ा.


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