Vastu Tips : आजकल घरों में वास्तु की अनदेखी करके जल स्त्रोत या जल का स्थान कहीं भी सुविधानुसार बना लिया जाता है. जिसका परिणाम होता है कि वहां पर अशांति, मानसिक क्लेश, दरिद्रता, अर्थ-हानि,अपयश और संतान से संबंधित कष्ट होते हैं- जैसे संतान का न होना या फिर संतान का निरंतर स्वास्थ्य खराब होना, बच्चे को लेकर पूरा परिवार परेशान रहता है. वास्तु में जल के महत्व के बारे में समझेंगे.
भारतीय संस्कृति में जल का महत्व सबसे अधिक है. यहां के प्रायः प्राचीन मंदिर जल स्त्रोतों के आस-पास है. इन मंदिरों के उत्तर पूर्व में या तो कोई नदी बहती मिलेगी या फिर कोई तालाब, कुआं, बावड़ी इत्यादि अवश्य होता है. ऐसे मंदिर संपन्नता की दृष्टि से विशेष महत्व के हैं. वहां की तरंगे व्यक्ति को अलौकिक संतोष और शक्ति प्रदान करने वाली होती हैं. वास्तु शास्त्र के सिद्धान्त के अनुसार यदि जल का स्थान उपयुक्त जगह पर है तो शक्ति, संपन्नता, संतति, शांति और पुण्य प्रताप में वृद्धि होती है.
यह आवश्यक है कि घरों में बोरिंग या पानी रखने का स्थान वास्तु के अनुसार ही हो. जल तत्व शरीर के रसायन से संबंध रखने वाला अति महत्वपूर्ण तत्व है. इससे शरीर का सारा द्रव्य प्रभावित हैं, विशेषकर मस्तिष्क, आकांक्षा, शांति, स्वाभिमान, सम्मान, संगीत, रुचि-अरुचि, सत्य-असत्य, वंश वृद्धि, तार्किक क्षमता, धर्म-अधर्म, विश्वास, विक्षिप्तता, ज्ञान विज्ञान इत्यादि जीवन के अनेक आयामों में इसका प्रभाव पड़ता है.
ईशान में बोरिंग अति उत्तम
मकान में पानी के लिए प्लाट के उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान में ही बोरिंग करवानी चाहिए. ईशान का अर्थ जो ईश्वर से संबंधित हो, ईशान कोण आप जानते होंगे कि पूर्व और उत्तर के मध्य स्थित होता है. पूर्व दिशा के स्वामी इंद्र हैं, जो दैविक ऐश्वर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर हैं जो भौतिक ऐश्वर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. अतः ईशान कोण इन दोनों दैविक और भौतिक ऐश्वर्य के मध्य स्थित होने के कारण दोनों तरह के ऐश्वर्यों को देने वाला कहा जाता है. इसलिए सदैव जल का स्त्रोत कुआं, हैंडपंप, बोरिंग, तालाब, स्विमिंग पूल, अंडरग्राउंड वाटर टैंक, फव्वारा आदि ईशान कोण में ही होने चाहिए. ईशान कोण में बोरिंग या जल का स्त्रोत रखने से स्वास्थ्य वर्धक जल की प्राप्ति होती है.
अंडरग्राउंड वाटर टैंक ईशान में
भूखंड में उत्तर पूर्व की ओर ढलान वाला होना चाहिए. ताकि पानी बरसने पर जल उत्तर-पूर्व की ओर बहे. भूखंड में यदि अंडर ग्राउंड वाटर टैंक बनवाना हो, तो ईशान कोण में ही बनवाएं. लेकिन ध्यान रहे कि इस टैंक में शुद्ध जल ही होना चाहिए, जो पीने योग्य हो. यदि ईशान कोण में किसी कारण वश बोरिंग न हो सके तो ठीक पश्चिम दिशा में बोरिंग करानी चाहिए. छोटे-मोटे दोषों का निवारण ईशान में फव्वारा (फाउंटेन) लगाकर दूर किया जा सकता है. वाटर फिल्टर भी ईशान कोण में रखना चाहिए.
आग्नेय में बोरिंग घातक
कुछ स्थानों में बोरिंग या जलाशय गलत हो जाने पर निश्चित ही ग्रह स्वामी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इनमें आग्नेय कोण सबसे महत्वपूर्ण है. यह अनुभव के आधार पर प्रमाणित है कि यदि घर में आग्नेय कोण (पूर्व और दक्षिण के मध्य) में बोरिंग करा दी गई है तो गृह स्वामी या उद्योगपति पर भारी मुसीबतें आती हैं. जैसे- संतान कष्ट, आकस्मिक धन हानि, बिजली से संबंधित दुर्घटना, अग्नि भय, उत्तेजना, क्रोध अधिक आना, माल की लागत अधिक आना आदि व्याधियां दिखाई पड़ती हैं.
वायव्य की बोरिंग देती है आर्थिक किल्लत
यदि बोरिंग वायव्य कोण यानी उत्तर और पश्चिम के बीच में है तो भी यह ठीक नहीं है. इससे अर्थ हानि होगी. इसके अलावा घर में जीवन शक्ति का हृास होगा. जिस घर में वायव्य कोण में बोरिंग होती है वहां पर भाइयों में आपसी प्रेम कम रहता है. छोटी-छोटी बात को लेकर पारिवारिक मनमुटाव बढ़ता ही जाता है.