Vastu Tips: प्राचीन समय से कई ऐसे रिवाज है जिनको दैनिक व्यवहार में ढ़ालकर लोग आज भी मानते आए हैं, जैसे कि पूजा पाठ, पूर्वजों का सम्मान, संस्कारों का निर्वहन आदि. उसी में व्यवहार की एक आदत है जूते चप्पल उतार कर घर में प्रवेश करना.


लोग घर में अंदर आने से पहले जूते-चप्पल उतार देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है! अगर नहीं तो आइए आपको बताते हैं. वास्तु शास्त्र में इसके बारे में बहुत ही अच्छे से बताया गया है. वास्तु कहता है कि ऐसा करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ही नहीं बल्कि विज्ञान और धार्मिक दृष्टि से भी जरूरी है. 



घर को मंदिर या देवालय की संज्ञा भी दी जाती है. मंदिर में बिना जूते चप्पल के प्रवेश किया जाता है. इसलिए घर में भी बिना जूते-चप्पल पहन के जाने का रिवाज है. इसका सीधा तात्पर्य स्वच्छता से है. कहा जाता है कि घर के अंदर जूते चप्पल ले जाने से वातावरण अशुद्ध होता है. यह भी कहा जाता है कि चप्पल हम हर जगह पहन कर जाते हैं, ऐसे में चप्पल के नीचे गंदगी चिपकना लाजमी है. ऐसे में अगर आप इसे घर के अंदर ले जाते हैं तो वह आपके घर की ऊर्जा को खराब करती हैं. ये भी एक वजह है की हमे जूते -चप्पल घर के बाहर ही उतारने चाहिए. 


विज्ञान का नजरिया क्या कहता है? 
विज्ञान का मानें तो जूते चप्पल की गंदगी जूतों के साथ घर में प्रवेश न करने पाएं इसलिए जूते घर के बाहर ही उतारने चाहिए. क्योंकि अगर गंदगी घर में आएगी तो घरवालों की सेहत पर गलत असर पड़ सकता है. अगर आप भी घर के अंदर चप्पल-जूते पहनकर नहीं जाते हैं तो ये आपके लिए काफी अच्छा साबित हो सकता है. क्योंकि ऐसा करने से बाहर की नेगेटिव एनर्जी घर के अंदर नहीं आती और आपके घर में खुशहाली बनी रहती है. 


ऐसे में कोशिश ये करनी चाहिए कि बाहर के जूते चप्पल को घर के अंदर न लाएं नाहि लाने दें. आप चाहें तो घर के लिए अलह , बाहर के लिए अलग चप्पल की व्यवस्था रखें. वहीं फिर बाथरूम के लिए अलग चप्पल रखें और चाहे किसी भी तरह का चप्पल हो उसे किचन में न ले जाएं. ऐसा करने से घर के वास्तु पर गलत असर पड़ता है और मां अन्नरपूर्णा नाराज होती हैं. 


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