रसोई घर, घर के लोगों की ऊर्जा की संरक्षक संवर्धक है. अच्छी रसोई से स्वास्थ्य, स्वाद और संस्कार तीनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. भारत में कहावत है 'जैसा खाओग अन्न वैसा होगा मन.' खाना पकाते समय गृहणी के चेहरे की दिशा पूर्व में होनी चाहिए. पूर्व दिशा देवताओं की दिशा मानी गई है. सिर्फ पूर्व दिशा में मुख रखकर तैयार किया गया भोजन ही देवताओं को प्रसाद स्वरूप अर्पित किया जाना चाहिए. पूर्वदिशा में मुख रखकर तैयार अन्न हर प्रकार से उत्तम होता है.
रसोई घर की दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम दिशा में बनाई जानी चाहिए. रसोई में पानी निकासी, चूल्हा और भंडारण में वास्तु के पूरे नियमों का ध्यान रख जाना चाहिए. रसोई में रासायनिक वस्तुओं और घर की क्लीनिंग और वाशरूम में प्रयोग आने वाली वस्तुओं को रखने से बचना चाहिए. ऐसा करने से रसोई में वास्तु दोष उत्पन्न होता है. भोजन के स्वाद और गुण प्रभावित होते हैं.
रात्रि में रसोई को पुनः व्यवस्थित किया जाना आवश्यक है. झूठे बर्तनों को खुला छोड़ना दोषपूर्ण माना जाता है. यदि रखना जरूरी लगता है तो उन्हें वाशिंग एरिया में साबुन के पानी में भिगोकर रखें. रसोई में पूजा स्थल और मंदिर का निर्माण नहीं करना चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह वाशरूम से एकदम सटा न हो. इससे घर में रोग बढ़ने की आशंका बढ़ती है. रसोई में फ्रिज जैसे भारी इलेक्ट्रिकल सामानों को भी रखने से परहेज करना चाहिए. अत्यधिक अग्नि उपकरणों का दबाव आग्नेय कोण में आकस्मिक स्थिति निर्मित कर सकता है.