Vidur Niti: विदुर ने महाराजा धृतराष्ट्र के साथ संवाद में इंसान के गुणों और अवगुणों के बारे में बताया है. विदुर नीति के अनुसार हर इंसान को धन संचय करना चाहिए, लेकिन इनका इस्तेमाल दूसरों को तंग करने, व्यर्थ में बर्बाद करने में नहीं करना चाहिए.


धन के लिए आसक्त हो


विदुर नीति में बताया गया है कि हर इंसान को धन का संचय करना चाहिए क्यों कि धन जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण चीज होती है. जो लोग धन की अहमियत नहीं समझते हैं. वे समय आने पर धन के लिए तरसते हैं और धनाभाव के कारण जीवन में दुःख सहते हैं. धन इच्छाओं की पूर्ति का साधन होता है. विदुर जी कहते हैं कि धन को काफी सोच समझकर खर्च करना चाहिए. धन पर ज्यादा आसक्त नहीं होना चाहिए और न ही दूसरे के धन का लोभ करना चाहिए. अपनी मेहनत से कमाया हुआ धन सुखदायक होता है. जो लोग धन के पीछे – पीछे भागते हैं. वे अपना सुख चैन खो देते हैं. वे परिवार समाज और खुद से दूर हो जाते हैं. 


धन का इस्तेमाल दूसरों को नीचा दिखाने के लिए करें


विदुर नीति में कहा गया है कि धन का संबंध आत्मविश्वास से होता है. धन संचय से इसका भाव बना रहता है. इस लिए धन को व्यर्थ में नहीं खर्च करना चाहिए. जो लोग धन की उपयोगिता को नहीं समझते हैं. उसे अपनी बुरी आदतों की पूर्ति के लिए खर्च करते हैं, उनसे मां लक्ष्मी नाराज होती है. जो लोग अपने धन का इस्तेमाल दूसरों को नीचा दिखाने में करते हैं. ऐसे लोगों से मां लक्ष्मी रूठकर चली जाती हैं. मां लक्ष्मी के रूठने से राजा भी रंक बन जाता है. इस लिए लोगों को अपने धन का इस्तेमाल कभी किसी दूसरे को परेशान करने के लिए नहीं करना चाहिए.


अन्न का अनादर


अन्न जीवन के लिए बहुत जरूरी होता है. विदुर नीति के अनुसार, इंसान को कभी भी अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए. जो लोग सामने आये भोजन का तिरस्कार करते हैं. उनका तिरस्कार अन्न कर देता है. इस लिए हर किसी को भोजन का सम्मान करना चाहिए. जो लोग भोजन को छोड़ देते हैं, उसका तिरस्कार करते हैं, उनसे मां लक्ष्मी नाराज होकर चली जाती हैं.   


 



 



 


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