Vidur Niti: महात्मा विदुर और हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्र के बीच हुए संवाद और वार्तालाप के संग्रह को ही विदुर नीति (Vidur Niti) कहते है. महत्मा विदुर महाभारत के प्रमुख पत्रों में से एक है. महाभारत के अनुसार, ये पांडवों के काफी करीब थे क्योंकि पांडु पुत्र सत्य और धर्म के पथ पर थे. महात्मा विदुर उसी के साथ रहना पसंद करते थे. जो ईमानदार, धर्म परायण, सत्यवादी और न्यायवादी थे. दासी-पुत्र महात्मा विदुर दूरदर्शी सोच के व्यक्ति थे.


महात्मा विदुर ने विदुर शास्त्र (Vidur Niti) में जीवनोपयोगी बातों के साथ यह भी बताया कि किस तरह के लोगों को पैसा भूलकर भी नही देना चाहिए. ऐसे लोगों को पैसा उधार देने से पैसा अटक जाता है और इसके लिए व्यक्ति को हमेशा पछताना पड़ता है. आइये जानें किस र्त्ढ़ एके लोगों को पैसा देने से बचना चाहिए.


जो भरोसेमंद हो: महात्मा विदुर जी कहते हैं कि जो लोग भरोसे मंद न हों अर्थात ऐसे लोग जो विश्वास के काबिल न हों, उन्हें उधार पैसा भूलकर भी नहीं देने चाहिए. ऐसे लोगों पैसा वापस मिलना बहुत मुश्किल होता है. इस लिए लोगों को काफी जांचने और परखने के बाद ही पैसा देना चाहिए.


बेहद ताकतवर लोग: विदुर जी कहते हैं कि जो लोग बहुत प्रभावशाली और ताकतवर होते हैं. उन्हें भूलकर भी कर्ज नहीं देना चाहिए, क्योंकि बाद में यदि इनकी नियत बदल गई तो आपका पैसा वापस नहीं होगा. ऐसे लोगों से आप पैसा वापस नहीं ले सकते हैं.  


आलसी व्यक्ति: विदुर नीति में अलसी व्यक्ति को कर्ज देने से बचने के लिए कहा गया है. ऐसे लोगों को दिया हुआ धन वापस नहीं मिलता है. ऐसे आलसी लोग अपने आलस्य की वजह से वे कोई कम नहीं करते हैं और दूसरों पर आश्रित रहते हैं.


कामचोर व्यक्ति: विदुर नीति के अनुसार जो व्यक्ति कामचोर हो अर्थात कोई भी काम करने से जी चुराता है. ऐसे लोगों को कभी कर्ज नहीं देना चाहिए.


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