Vidur Niti: महाभारत के प्रमुख पत्रों में से एक महात्मा विदुर पांडवों के करीबी माने जाते हैं. हालांकि उन्हें हमेशा न्याय और धर्म का मार्ग अपनाया. कठिन से कठिन परिस्थिति आने पर भी महात्मा विदुर ने सत्य, ईमानदारी और धर्म के मार्ग छोड़ा नही बल्कि वे सदैव इसी मार्ग का ही अनुसरण किया. उनके इन्ही गुणों के कारण उनके विरोधी भी उनके सामने नतमस्तक हो जाते थे. विदुर महाराजा धृतराष्ट के सलाहकार भी थे. वे करीब –करीब सभी मुख्य विषयों पर उन्हें उनसे सलाह लेते थे. महाराजा धृतराष्ट और महात्मा विदुर के बीच वार्तालाप के दौरान जो बातें विदुर द्वारा कही गई. उनका संकलन ही विदुर नीति है. विदुर नीति में इंसान की उन आदतों के बारे में बताया गया है, जिनकी वजह से इंसान का पतन हो जाता है. इस लिए व्यक्ति को इन बुरी आदतों का परित्याग कर देना चाहिए.


किसी का बुरा करें


विदुर जी कहते हैं कि इंसान को कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए. विदुर नीति के अनुसार, बुरा करने वाले के जीवन में एक न एक दिन संकटों व परेशानियों से जरूर गुजरना पड़ता है. ऐसे में उनका साथ कोई नहीं देता. उन्हें उनके द्वारा किये गए बुरे कार्यों का फल जरूर भोगना पड़ता है.  बुरा इंसान हमेशा ईर्ष्या और लालच के चलते दूसरों को किसी भी तरह का नुकसान करने से चूकता नहीं है. हालांकि ऐसा करते हुए वह खुद की नजरों में कितना गिर जाता है कि इसका अंदाजा उसे नहीं रहता है लेकिन उनके अंदर की ये बुराइयां समाज में झलकने लगती हैं.  जिसके चलते लोग इनसे किनारा करने लगते हैं. इनकी विश्वसनीयता समाज में समाप्त हो जाती है और इनका पतन होने लगता है.


दूसरों पर नहीं हंसना चाहिए


विदुर नीति के अुनसार किसी व्यक्ति का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, क्योंकि जो व्यक्ति दूसरों का मजाक उड़ाता है. वह स्वयं भी एक न एक दिन हंसी का पात्र बनता है.  विदुर जी कहते है कि जो व्यक्ति समाज में दूसरों का मजाक उड़ाना अपनी शान समझते हैं. वे लोग समाज में सम्मान नहीं होते हैं. इंसान की आदत व्यक्ति को पतन की तरफ ले जाती है.


 



 



 


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