Vidur Niti Thoughts: मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसके अंदर हर पल कुछ नया पाने की या कुछ नया करने की लालसा बनी रहती है. अपने इसी जिज्ञासा की बदौलत वह इंसान सुखी या त्रस्त रहता है. विदुर नीति (Vidur Niti) में विदुर जी ने बड़े स्पष्ट शब्दों में यह बताया कि व्यक्तियों के अंदर 6 दोष मौजूद रहते हैं. अगर वह अपने इन 6 दोषों को दूर कर ले तो वह जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है. अन्यथा उस मनुष्य के पास सुख सुविधा होते हुए भी वह व्यक्ति सुखी नहीं रहता है. विदुर नीति (Vidur Niti) में कही हुई बातों का महत्व जितना कल था उतना आज भी है.
इन 6 दोषों से रहें दूर
ईर्ष्या: विदुर नीति (Vidur Niti) में विदुर जी ने बताया कि ईर्ष्या मनुष्य का सबसे बड़ा दोष है. जो व्यक्ति ईर्ष्यालु होता है वह अपने आप को हीन समझता है. वह व्यक्ति कभी भी खुश नहीं रहता है. वह दूसरों को देखकर हमेशा जलता रहता है.
घृणा: घृणा मनुष्य का जन्मजात दोष है. हर व्यक्ति किसी न किसी बात से घृणा करता है. विदुर नीति (Vidur Niti) कहती है कि जो व्यक्ति अपने समाज से, अपने सहयोगियों से या अपने अंदर के भावों से घड़ा करेगा तो उसका जीवन सुखी नहीं रहेगा.
क्रोध : क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है. वह व्यक्ति जो क्रोधी होता है उसके अंदर विवेक खो जाता है. वह अच्छे बुरे की पहचान नहीं कर पाता है जिसके कारण वह सदैव दुखी रहता है.
असंतोष: विदुर जी (Vidur Niti) कहते हैं कि जिस व्यक्ति के अंदर संतोष नहीं होता है. वह व्यक्ति सदैव दुखी रहता है क्योंकि जीवन में हर समय बदलाव होता रहता है. मनुष्य को सभी चीजें प्राप्त नहीं हो सकती हैं.
शक: विदुर जी कहते हैं कि शक मनुष्य का सबसे बड़ा दोष है. जो व्यक्ति सभी को संदेह की दृष्टि से देखता है. वह व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं रह पाता है क्योंकि उसके अंदर हमेशा डर की भावना बनी रहती है.
पराश्रित व्यक्ति: वह व्यक्ति जो दूसरों पर आश्रित रहता है. उसका अपना कोई वजूद नहीं होता है विदुर जी कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति सुख होते हुए भी कभी सुखी नहीं रहता है.
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