Vidur Niti: इंसान को जब कोई सच्चा और उपयुक्त मार्गदर्शक मिल जाता है तो वह जीवन की हर सफलता को प्राप्त कर लेता है. महात्मा विदुर की नीतियां मौजूदा समय में लोगों का कई प्रकार से सही मार्गदर्शन कर रहीं हैं. विदुर नीति न केवल व्यक्ति को सदमार्ग पर चलने की शिक्षा देती है, बल्कि वह सही और गलत के बीच अंतर भी बताती है.


विदुर नीति महाभारत काल में महात्मा विदुर और हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्र के बीच वार्तालाप और संवाद का संकलन है. इसमें जीवन को सफल बनाने के लिए बहुत सी बातें और गुण बताये गए हैं.  विदुर नीति के अनुसार इंसान को जीवन में इन बातों से हर समय सतर्क रहना चाहिए. इन्हें कभी भूलकर भी अनदेखा नहीं करनी चाहिए.  


विदुर नीति की इन बातों का कभी करें अनदेखा


श्लोक


यत् सुखं सेवमानोपि धर्मार्थाभ्यां हीयते कामं तदुपसेवेत मूढव्रतमाचरेत् ।।


भावार्थ: विदुर नीति के इस श्लोक में महात्मा विदुर ने बताया है कि हर इंसान को यह आजादी है कि वह धर्म और न्याय के मार्ग पर चलकर अपने सुख सुविधाओं का भरपूर लाभ उठाये, लेकिन उसे सुख में इतना लिप्त भी नहीं हो जाना चाहिए, जिसकी वजह से वह अधर्म का मार्ग अपनालें. इस लिए हर इंसान को अपने सुखों का उपभोग करते समय धर्म और न्याय के प्रति हर समय सतर्क रहना चाहिए. इसे कभी भूलकर भी अनदेखा नहीं करनी चाहिए. विदुर जी कहते है कि इस बात की संभावना बनी रहती है कि वह काम और धन के लोभ में अधर्म का मार्ग अपनाले.


श्लोक


वृत्तं यत्नेन संरक्षेद् वित्तमेति च याति च । अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः ।।


भावार्थ: इस श्लोक के माध्यम से विदुर जी कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपने चरित्र की रक्षा सबसे अधिक करनी चाहिए, क्योंकि जीवन में धन का आना-जाना तो लगा रहता है. धन के नष्ट होने पर भी यदि चरित्र साफ़ है तो कुछ भी बुरा नहीं होता है. यदि चरित्र नष्ट हो जाय तो उसका कमाया धन नष्ट हो जाता है. इस लिए व्यक्ति को हर समय केवल वही कार्य करना चाहिए जिससे उसके चरित्र पर कोई दाग न लगे.  उसे अपने चरित्र के प्रति हर वक्त सजग रहना चाहिए.


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