Vidur Niti, Mahabharat: महात्मा विदुर महाभारत के ऐसे पात्र हैं जिनका सम्मान शत्रु भी करते थे. वह हस्तिनापुर के महामंत्री और महाराजा धृतराष्ट्र के सलाहकार थे. महात्मा विदुर को धर्मराज का अवतार माना जाता है. महत्मा विदुर सदा सत्य बोलते थे. उन्होंने जीवन भर सत्य के मार्ग का ही अनुसरण किया. एक बार महाराजा धृतराष्ट्र ने जब विदुर से पूछा कि महाभारत के युद्ध का परिणाम क्या होगा, तो महात्मा विदुर ही पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने कहा था कि यह युद्ध सिर्फ विनाश लेकर आएगा.


सत्य ही ईश्वर प्राप्ति का एक मात्र मार्ग है


महात्मा विदुर कहते हैं कि ईश्वर को प्राप्त करने का सत्य के सिवाय कोई दूसरा मार्ग नहीं है. सत्य ही वह मार्ग है, जिस पर चलकर ईश्वर के दर्शन किए जा सकते हैं. सत्य के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति स्वर्ग की प्राप्ति कर सकता है. विदुर नीति के अनुसार, जो लोग सत्य को नहीं मानते हैं. उनका चित्त हमेशा प्रेत की तरह भटकता रहता है. कहीं भी शांति नहीं मिलती है. सबकुछ होने के बावजूद भी उसके पास मानसिक सुख नहीं होता है.


सत्य के बिना नहीं मिलती शांति


विदुर नीति के अनुसार व्यक्ति को शांति तभी प्राप्त हो सकती है जब वह सत्य को पूरी तरह से अपना ले. विदुर जी कहते हैं कि सभी दुखों की एक ही दवा है और वह है सत्य. जो सत्य को समझ लेता है और अपने जीवन में उतार लेता है. वह हर दुखों से मुक्त हो जाता है. उसका जीवन धन्य हो जाता है. 


इसी जीवन में मिलता है पाप कर्मों का फल  


विदुर के अनुसार पाप करने वाले व्यक्ति को उसके कृत्यों का दोष निश्चित रूप से सहना पड़ता है, जो कि दंड, रोग, आपदा और हानि के रूप में हो सकता है. इसलिए व्यक्ति को पापमुक्त जीवन जीना चाहिए. व्यक्ति जो भी बुरा कर्म करता है, उसे इसी जीवन में उसकी भरपाई करना पड़ता है. इस लिए जो इस सत्य समझते हैं, वे जीवन में संकटों और दुखों से मुक्त हो जाते हैं. हर जगह सम्मान प्राप्त करते हैं.


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