Vidur Niti, Vidur Neeti: महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) और महाराजा धृतराष्ट्र के बीच हुए वार्तालाप के संग्रह को ही विदुर नीति (Vidur Niti) कहते है. वार्तालाप के दौरान महात्मा विदुर की बताई गई ये बातें न केवल उनके समय में ही अनमोल थी बल्कि मौजूदा समय में कहीं उससे अधिक प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण हो गई हैं.


महात्मा विदुर ने विदुर नीति में ऐसी 3 चीजों का जिक्र किया है, जो किसी भी इंसान के खुशहाल जीवन के लिए अभिशाप होती है. जिस भी इंसान में ये अवगुण होते हैं, उन्हें तुरंत ही इसका परित्याग कर देना चाहिए.


काम: विदुर नीति के अनुसार, किसी भी इंसान में अत्यधिक काम भावना उसे पतन की ओर ले जाती है. इसलिए हर इंसान को चाहिए कि वे अपनी काम भावना को नियंत्रित रखें. विदुर जी कहते हैं कि अत्यधिक काम भावना इंसान को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से कमजोर कर देती है और उसका जीवन बर्बाद हो जाता है. इसलिए इसका तुरंत परित्याग कर देना चाहिए.


क्रोध: विदुर नीति के अनुसार, क्रोध इंसान के पतन का मूल है. यह इंसान की बुद्धि और विवेक दोनों को नष्ट कर देता है. क्रोध किसी भी व्यक्ति का ऐसा अवगुण है. जो उसके सोचने और समझने की शक्ति को क्षीण कर देता है. क्रोध में व्यक्ति सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है. क्रोध के चलते कभी-कभी तो व्यक्ति ऐसा फैसला कर बैठता है, जो कि खुद उसी का नुकसान कर देता है. इसलिए व्यक्ति को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए. महात्मा विदुर जी कहते हैं कि क्रोध विनाश का मूल है. इसलिए इंसान को इसे तुरंत छोड़ देना चाहिए.


लोभ: महात्मा विदुर जी कहते हैं कि लोभी व्यक्ति को हर जगह अपना ही स्वार्थ दिखाई देता है. व्यक्ति अपने स्वार्थ के कारण सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है. विदुर जी कहते हैं कि लोभी व्यक्ति जीवन भर असंतुष्ट ही रहता है. ऐसी दशा में यह इंसान कभी सुखी नहीं रहता है. इसलिए लोभ हर व्यक्ति के लिए बहुत ही खतरनाक होता है. इंसान को जीवन में खुशहाल और सुखी रहना है, तो उसे लोभ का परित्याग करना होगा. 




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