Vidur Niti: महात्मा विदुर महाभारत काल के प्रमुख पात्रों में से एक थे. वे अपनी दूरदर्शी दृष्टि से आने वाली समस्याओं को भाप लेते थे और उन समस्याओं को दूर करने के उपाय भी बताते थे. उन्होंने महाभारत युद्ध होने के पूर्व ही महाराजा धृतराष्ट्र को सचेत करते हुए कहा था कि इस युद्ध का परिणाम बहुत भयंकर और बेहद दुखद होगा. महात्मा विदुर ने मनुष्य के जीवन से जुड़ी कई नीतियों का उल्लेख अपनी विदुर नीति में किया है. उन्होंने विदुर नीति में बताया है कि किन लोगों को उनकी गलती तुरंत बता देनी चाहिये.
श्लोक
शुभं वा यदि वा पापं द्वेष्यं वा यदि वा प्रियम् |
अपृष्टस्तस्य तद् ब्रूयाद् तस्य नेच्छेत् पराभवम् ||
संतान और हितैषी को
विदुर नीति के इस श्लोक के माध्यम से यह बताया गया है कि यदि आपकी कोई संतान हो या फिर कोई आपका हितैषी. जिनका कि आप हित चाहते है और उसे सामाज में मान –सम्मान दिलाना चाहते है, तो ऐसे लोगों को उनकी गलती तुरंत बता देनी चाहिए. गलतियों को बताने में बिलकुल भी देरी नहीं करनी चाहिए और नहीं उनके पूछने का इंतजार करना चाहिए. सभी बातों को जानने के बाद यह बात उनके ऊपर छोड़ देना चाहिए कि वे इस पर क्या फैसला लेंगे.
मिलेगी आत्म संतुष्टि
विदुर नीति के अनुसार, ऐसा करने से आपको इस बात के संतुष्टि रहेगी कि आपने समय रहते उसे उसकी गलती बताकर उसे सजग कर दिया है. अब वह व्यक्ति अपना भला और बुरा देखते हुए फैसला ले कि उसे क्या करना चाहिए.
विदुर नीति के अनुसार ऐसा करने से दो लाभ होंगे, पहला कि वह अपराध बोध महसूस नहीं करेगा और दूसरा कि वह सभी बातों को जानते हुए भविष्य में सतर्क रहेगा. साथ ही इस बात के लिए भी उसे आपसे कोई शिकायत भी नहीं रहेगी. विदुर नीति के अनुसार, अपनों को बिना कहे सलाह देना चाहिए.
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