Vidur Niti: महात्मा विदुर महान विद्वान ही नहीं बल्कि धर्म परायण के साथ ही स्पष्टवादी और सत्यवादी भी थे. उनके इन्हीं गुणों के कारण उनकी तारीफ़ उनके शत्रु भी करते थे. वे महाभारत के सबसे योग्य पात्रों में से एक थे. उन्हें हस्तिनापुर का महामंत्री नियुक्त किया गया था.


महात्मा विदुर और महाराजा धृतराष्ट्र के बीच हुआ संवाद और वार्तालाप का संकलन ही विदुर नीति है. विदुर नीति में उन्होंने जीवन के लिए उपयोगी अनेक बातों को बताया है. विदुर नीति के अनुसार किसी भी व्यक्ति में जब ये व्यवहार आ जाते हैं, तो वे सभी के दिलों पर राज करते हैं और उन्हें हर जगह सम्मान मिलता है. वे सभी के प्रिय हो जाते हैं.


विनम्र और मधुर व्यवहार:



  • व्यक्ति को हमेशा अपना व्यवहार अच्छा और विनम्र रखना चाहिए. विदुर नीति के अनुसार, व्यक्ति को अपना व्यवहार विनम्र और मधुर रखना चाहिए. जिन लोगों के स्वभाव में विनम्रता और मधुरता होती है. वे लोगों को तो अपना बना ही लेते है बल्कि शत्रु भी आपके बनकर हो जाते हैं. उसके मन से शत्रुता के भाव खत्म हो जाते हैं.

  • विदुर नीति के अनुसार, ऐसे व्यक्ति के साथ संकट के समय उनकी मदद के लिए अनगिनत लोग खड़े हो जाते हैं जिनके व्यवहार में मधुरता और विनम्रता होती है. विदुर जी कहते हैं कि व्यक्ति की पहचान उसके स्वभाव से ही होती है.

  • विदुर नीति के अनुसार, जिन व्यक्तियों के अंदर क्रोध होता है. दूषित मानसिकता के होते हैं और और कटु बचन बोलते हैं. उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता और नहीं उनकी कोई मदद करने को तैयार होता है.

  • विदुर जी कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के स्वभाव में कोमलता तभी आती है, जब व्यक्ति ज्ञानी होता है. उसके अंदर संस्कार होते हैं. संस्कार व्यक्ति के अंदर ज्ञान / शिक्षा की सुदंरता को तो निखारते ही हैं, उन्हें पोषित भी करते हैं.


करें ज्ञान का दिखावा: जो व्यक्ति ज्ञान का दिखावा नहीं करते हैं, उन्हें हर जगह सम्मान मिलता है. इसलिए कभी भी अपने ज्ञान का दिखावा नहीं करना चाहिए.




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