Vidur Niti: महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक महात्मा विदुर अपनी नीतियों के लिए हमेशा याद किये जाते रहेंगे. इन्होंने सम्मानित और सुखी जीवन जीने के लिए उपयोगी शिक्षाओं, धन, तरक्की, राजनीति, दोस्ती और पेशे से जुड़े प्रसंगों पर अपने विचार व्यक्ति किये हैं. विदुर नीति में वर्णित शिक्षाओं का महत्व आज उससे अधिक हो गया है जितना की महाभारत काल में था.


महात्मा विदुर ने आर्थिक क्षेत्र से जुड़े कई ऐसे सिद्धांत बताए हैं. जिनका पालन करने से व्यक्ति को कोई आर्थिक नुकसान नहीं होता है. विदुर नीति में लोगों के ऐसे दुर्गुणों की चर्चा की गई है, जिसके कारण व्यक्ति अपना मान –सम्मान और प्रतिभा दोनों खो देता है.


दूसरे के धन का लालच लोगों में बुराईयों को देता है जन्म


विदुर जी कहते हैं कि व्यक्ति को अपनी कमाई के धन में गुजारा करना बेहतर होता है. जो व्यक्ति दूसरे के धन पर नजर रखता है या उसे प्राप्त करने की लालसा रखता है. वह अपना मानसिक तनाव बढ़ाता है. व्यक्ति को कभी भी दूसरे के धन का लालच नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति के अंदर अनेक बुराइयों का जन्म होता है. व्यक्ति के सम्मान और प्रतिभा दोनों का नाश कर देता है. इसलिए व्यक्ति को अपने श्रम और प्रतिभा पर ही भरोसा करना चाहिए,


विदुर जी कहते हैं कि अपने श्रम और प्रतिभा से कमाया हुआ धन व्यक्ति को सकून और संतुष्टि देता है. यह विकास के पथ की ओर ले जाता है. जो व्यक्ति के दूसरे के धन को देखकर ईर्ष्या करता है. वह हमेशा पतन की ओर जाता है. उसके घर परिवार में क्लेश शुरू होता है. ऐसे लोग गलत कार्यों को करने लगते हैं. उनकी यह बुराई उन्हें अपराधी भी बना देती है.


ईर्ष्या रखने वाले जीवन में नहीं होते हैं सफल


विदुर जी कहते हैं कि ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति अपनी तरक्की को खुद ही अवरुद्ध कर देता है. ईर्ष्या एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को बरबाद कर देती है. ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में कभी खुश नहीं रहता है.




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