Vidur Niti: महाभारत (Mahabharat) में धृतराष्ट्र और विदुर के संवाद को ही विदुर नीति के नाम से जाना जाता है. महाभारत युद्ध में शांति के सभी प्रयासों के विफल होने के बाद महाराजा धृतराष्ट्र ने अपने सलाहकार विदुर (Vidur Niti) से अच्छे-बुरे कर्मों का रहस्य पूछा था. आइये महात्मा विदुर की उन नीतियों के बारे में जानें, जिनका पालन करने से जीवन में असफलता नहीं आती और नहीं कोई मुसीबत आती है.
- व्यक्ति को कभी गलत काम नहीं करना चाहिए क्योंकि गलत काम तो वह अकेले करता है परंतु उसका आनंद बहुत से लोग लेते हैं. केवल अधर्म करने वाला व्यक्ति ही पाप का भागी बनता है, जबकि आनंद उठाने वाले बच जाते हैं.
- व्यक्ति को काम, क्रोध और लालच का तुरंत त्याग कर देना चाहिए. ये तीनों आत्मा का नाश करने वाले नर्क के 3 द्वार माने गए हैं.
- लोगों को नींद, डर, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता तुरंत छोड़ देना चाहिए. ये बुराईयां लोगों को जीवन में सफल नहीं होने देती है.
- ईर्ष्या करने वाले, असंतुष्ट रहने वाले, क्रोध करने वाले, सदा शंका करने वाले और दूसरों के भाग्य पर जीने वाले लोग पूरे जीवन दुखी रहते है.
- जो लोग मुसीबत में दुखी नहीं होते और धैर्य रखकर काम करते हैं. वे कभी असफल नहीं होते हैं. उन्हें शत्रु कभी पराजित नहीं कर सकता है.
- जो लोग भरोसेमंद नहीं हैं, उन पर विश्वास न करें, लेकिन जो लोग विश्वसनीय हैं, उन पर भी बहुत अधिक भरोसा न करें.
- पांच सुख -धन लाभ, अच्छा स्वास्थ्य, आज्ञाकारी संतान, श्रेष्ठ जीवन साथी और इच्छाएं पूरी करने वाली विद्या जिनके पास हैं. वे ही सुखी होते हैं.
- क्षमा को दोष न मानें. क्षमा कमजोर का गुण और शक्तिशाली का आभूषण है. जो लोग क्षमा को दोष मानते हैं. वे लोग हमेशा दुखी रहते हैं.
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