Vidur Niti: महाभारत में कौरवों और पांडवों के चाचा विदुर को बेहद विद्वान माना गया है. उनकी विद्वता और न्याय प्रियता का सम्मान उनके दुश्मन भी किया करते थे. वैसे तो महात्मा विदुर दासी पुत्र थे, परंतु उन्हें हस्तिनापुर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था. वे महाराजा युधिष्ठिर के सलाहकार भी थे. महाराजा अपने हर महत्वपूर्ण फैसलों पर विदुर से सलाह मशविरा किया करते थे.


विदुर नीति हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्र और महात्मा विदुर के बीच हुए संवादों और वार्तालापों का संकलन है. वे ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने महाभारत के परिणाम का अनुमान लगा लिया था तथा महाराजा धृतराष्ट्र यह भी बता दिया था कि इस युद्ध का परिणाम बड़ा ही भयावह होगा. इस लिए महात्मा विदुर ने इसे रोकने के लिए महाराजा धृतराष्ट्र से काफी अनुनय –विनय किया था.


विदुर ने अपनी नीतियों में इस बात का उल्लेख किया है कि ऐसे व्यक्ति पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए, नहीं तो बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों की निंदा करता है. वह कभी भी विश्वास करने के योग्य नहीं रहता है.


महाराजा धृतराष्ट्र ने जब विदुर से दूसरों की निंदा करने वाले व्यक्ति के चरित्र के बारे में पूंछा! तब विदुर जी ने कहा कि ऐसे लोग जो दूसरों की निंदा करते हैं, जिसके समक्ष निंदा कर रहें होते हैं, उसकी भी निंदा करते हैं. ऐसे लोग किसी के सगे नहीं हो सकते हैं. ऐसे लोग विश्वास करने के लायक नहीं होते हैं.


दूसरों की निंदा करने वाले लोग संबंधों में संदेह या संशय पैदा करते हैं. वे लोगों के मध्य विवाद खड़ाकर राज करना चाहते हैं. ऐसे लोगों को न तो समाज मान-सम्मान मिलता है और नहीं कोई इन्हें पसंद करता है.


विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने करीबी मित्रों, रिश्तेदारों और संबंधियों को बार-बार परखता है और उसकी सत्यता की जांच करता है. ऐसे व्यक्तियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए. 


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