Vidur Niti: महाराज धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे. उन्हें लोगों की अच्छाइयां और बुराइयां दिखाई नहीं देती थी. किसी मनुष्य के व्यवहार का आंकलन वे सिर्फ उसकी आवाज सुनकर ही कर पाते थे. ऐसे में महात्मा विदुर उनके लिए चक्षु के समान थे. जो महाराज धृतराष्ट्र को सही गलत के बारे में बताया करते थे. महात्मा विदुर में महाराज धृतराष्ट्र को लोगों के हाव-भाव और व्यवहार को परखने के लिए उन्हें कुछ संकेत बताए थे. जिसके आधार पर महाराज धृतराष्ट्र लोगों के बारे में अपने विचार व्यक्त करते थे. विदुर जी ने महाराज को छह प्रकार के व्यक्तियों के बारे में बताया था जो हमेशा दुखी रहते हैं.


ये हैं वो 6 प्रकार के व्यक्ति



  1. ईर्ष्या करने वाला: महात्मा विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति सदा दूसरों से ईर्ष्या करता है. दूसरों के सुख को देखकर दुखी रहता है. अपने आपको उनसे हीन मानता है. अपने आप को उनके बराबर दिखाने का दिखावा करता है. वह व्यक्ति सदैव दुखी रहता है.

  2. दूसरों से घृणा करने वाला: वह व्यक्ति जो दूसरों को देख कर घृणा करता है. उसके कामों को नीच समझता है. उसके साथ उठना बैठना पसंद नहीं करता है. जो सदैव दूसरों को अपने से निम्न समझता है. वह सदा दुखी रहता है.

  3. असंतुष्ट व्यक्ति: विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने आप में संतुष्ट नहीं होता है. वह दूसरों को देखकर हमेशा दुखी रहता है. उसे दूसरों की चीजें अच्छी लगती हैं जिसके कारण वह उसे पाने की लालसा रखता है. इस वजह से वह हमेशा दुखी रहता है.

  4. क्रोध करने वाला: महात्मा विदुर के कथनानुसार जो व्यक्ति हमेशा नकारात्मक भाव रखता है. किसी कार्य से संतुष्ट नहीं रहता है. छोटी से छोटी बात पर भी क्रोधित हो जाता है. ऐसा व्यक्ति सदैव दुखी रहता है.

  5. शंकालु व्यक्ति: विदुर जी कहते हैं कि जो व्यक्ति सदा दूसरों पर शंका करता है. उनके के कामों की निंदा करता है. हर वक्त हर किसी पर संदेह करता है. वह व्यक्ति सदैव दुखी रहता है.

  6. पराश्रित व्यक्ति: विदुर नीति (Vidur Niti) के अनुसार जो व्यक्ति दूसरों के अधीन होता है. उसका अपना कोई वजूद नहीं होता है. वह अपनी इच्छा अनुसार कोई कार्य नहीं कर पाता है. जिसके कारण वह सदैव दुखी रहता है.



 


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