Vidur Niti: महात्मा विदुर महाभारत के लोकप्रिय पात्रों में से एक थे. वे हस्तिनापुर के चक्रवाती राजा महाराजा धृतराष्ट्र के महामंत्री थे. महाराजा धृतराष्ट्र हर गूढ़ विषयों पर महात्मा विदुर जी से राय- मशविरा किया करते थे. महाराजा धृतराष्ट्र और विदुर के बीच संवाद का संकलन विदुर नीति है. महाराजा धृतराष्ट्र के छोटे भाई और दासी पुत्र विदुर की तीक्ष्ण बुद्धि, स्पष्टवादिता और ज्ञान से हर कोई प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था.


महात्मा विदुर पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने महाभारत युद्ध होने के पहले ही उसके विनाशकारी परिणाम के बारे में जान लिया था और इस विनाशकारी परिणाम से हस्तिनापुर नरेश को अवगत करा दिया था. विदुर नीति में मानव जीवन से जुड़े अनेक गुणों का वर्णन किया गया है. विदुर नीति के अनुसार मनुष्य के कई गुण ऐसे हैं जो उन्हें श्रेष्ठ बनाते हैं. आइये जानें इन गुणों के बारे में:


करें घमंड


विदुर नीति के मुताबिक लोगों को घमंड नहीं करना चाहिए. व्यक्ति जब कोई पद प्राप्त कर लेता है तो उसे पद का अभिमान नहीं करना चाहिए अर्थात उसे पद का घमंड नहीं करना चाहिये. जो लोग अपने पद के मद में चूर होकर घमंड करने लगते हैं. वे बहुत जल्द ही पतन की ओर अग्रसर हो जाते हैं.


विदुर नीति के अनुसार, व्यक्ति पद पाने के बाद यह भूल जाता है कि पद एक जिम्मेदारी है. यह एक साधन मात्र है न कि साध्य. पद एक ताज के समान जो एक निश्चित समय के बाद सिर से उतर जाता है.  जो लोग पद पाकर लोगों के शोषण करते हैं. इंसान को पहचानना भूल जाते हैं. उन्हें बाद में तिस्कार, घृणा और अपमान ही मिलता है. समाज में अकेले रह जाते हैं. इसलिए पद होने पर कभी इसका घंमड नहीं करना चाहिए.


प्रेम ही सत्य है


विदुर नीति के अनुसार प्रेम ही परम सत्य है. इंसान को प्रेम की शक्ति पहचानना चाहिए. प्रेम ही एक ऐसा मार्ग है, जिसे अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में हर चीज प्राप्त कर सकता है. प्रेम ही व्यक्ति को बड़ा इंसान बनाता है. प्रेम से युक्त इंसान ईश्वर को अति प्रिय होते हैं. ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद इन पर बरसती है.  


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