(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Vishwakarma Jayanti 2023: माघ माह की विश्वकर्मा जयंती आज, जानें पूजन विधि, सरल मंत्र और पौराणिक मान्यताएं
Vishwakarma Jayanti 2023: आज विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है. भगवान विश्वकर्मा को गृह निर्माण और वस्तुओं को बनाने वाला देवता माना जाता है.निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों के लिए पर्व खास होता है.
Vishwakarma Jayanti 2023: माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी 3 फरवरी को भी विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. हालांकि भारत के कई हिस्सों में इसे सितंबर माह में मनाया जाता है. भगवान विश्वकर्मा को गृह निर्माण और वस्तुओं को बनाने वाला देवता माना जाता है. इन्हें देवताओं का शिल्पकार कहा जाता है. इस दिन औजार और मशीनरी की विशेष पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार, देवी-देवताओं से जुड़े सभी निर्माण कार्य भगवान विश्वकर्मा ही करते हैं. त्रेतायुग में सोने की लंका, पुष्पक विमान द्वापर युग में द्वारका नगरी का निर्माण विश्वकर्मा जी ने ही किया था. निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों के लिए विश्वकर्मा जयंती एक बड़ा पर्व है. आइए जानते हैं इसकी पूजन विधी.
विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठ कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें. इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा रखें. हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर भगवान का ध्यान लगाएं. अब
'ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:' मंत्र का जाप करें और भगवान विश्वकर्मा को भोग लगाएं. विधिपूर्वक आरती करें और अपने औजारों और यंत्र की पूजा करें. इसके बाद हवन कर पूजा संपन्न करें.
भगवान विश्वकर्मा सरल मंत्र
ॐ आधार शक्तपे नम:, ॐ कूमयि नम:, ॐ अनंतम नम:, ॐ पृथिव्यै नम:
सोने की लंका से जुड़ी मान्यता
विश्वकर्मा जी देवी-देवताओं से जुड़े कई निर्माण कार्य किए हैं जिसमें सबसे प्रमुख है सोने की लंका का निर्माण. लंका के संबंध में कई मान्यताएं प्रचलित हैं. एक मान्यता है कि असुर माल्यवान, सुमाली और माली ने विश्वकर्मा जी से असुरों के लिए एक विशाल भवन बनाने की प्रार्थना की थी. इन तीन असुरों की प्रार्थना सुनकर विश्वकर्मा जी ने समुद्र किनारे पर त्रिकूट नाम के एक पर्वत पर सोने की लंका बना दी.
एक अन्य मान्यता के अनुसार सोने की लंका के राजा कुबेर देव थे जिनका सौतेला भाई रावण था. जब रावण शक्तिशाली हुआ तो उसने अपने भाई कुबेर से सोने की लंका छिन ली थी. विश्वकर्मा जी ने ही कुबेर के लिए पुष्पक विमान भी बनाया था, इस विमान को भी रावण ने उनसे छिन लिया था.
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