Vrat Niyam: व्रत में क्या आप भी अधिक खाते हैं, जान लीजिए उपवास का सही का अर्थ क्या है?
Vrat Niyam: हिन्दू धर्म में व्रत के नियम होते हैं. नियमित व्रत करने से मनुष्य का मन और शरीर शुद्ध होता है.जानते हैं व्रत के दौरान भोजन का कितना सेवन करना चाहिए और उपवास या व्रत में क्या अंतर होता है.
Vrat Niyam: पुण्य कर्म करने से मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है. वहीं जो पाप के भागीदार बनते हैं उसे दुख भोगना पड़ता है. हर प्राणी सुख की चाह रखता है और दुख से निवृति चाहता है. मानव की ऐसी परिस्थिति को देखते हुए वेद (Ved), पुराणों (Purana) में मानव के कल्याण हेतु और दुख से निवृति के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं. उन्हीं में से एक उपाय व्रत का भी है.
धर्म का साधक है व्रत (Importance of Fasting)
व्रत को धर्म (Dharm) का साधक कहा गया है. व्रत करने से पाप का सर्वनाश, पुण्य की उत्पत्ति होती, शरीर और मन शुद्ध होते हैं. लेकिन कई लोग व्रत के दौरान जो एक गलती करते हैं वह है कुछ न कुछ खाते रहना, बार-बार फलाहार करना, शरबत का सेवन करना आदि. ऐसे में एक सवाल व्रत करने वाले लोगों के मन में जरूर आता होगा कि आखिरकार व्रत के दौरान कितना अधिक खाना चाहिए और कितना भोजन करें जिससे व्रत के नियमों का उल्लंघन भी न हो. आइए जानते हैं.
व्रत के दौरान कितना खाना चाहिए? (How much should one eat during the fast)
व्रत करने से शरीर अंदर से शुद्ध होता है. शरीर के भीतर से सभी तरह के विषाक्त पदार्थ बाहर आ जाते हैं. जोकि शरीर को स्वस्थ रखते हैं. मन शांत होता है जोकि आपको अच्छा महसूस कराता है. व्रत के दौरान सही मात्रा में खाना चाहिए. अधिक मात्रा में भोजन का सेवन करने से आपको नुकसान भी पहुंच सकता है. ऐसे में शरीर के पोषण के लिए दिन में 2 से 3 बार फलाहार करना चाहिए. जिसके साथ बीच बीच में जूस का सेवन करना सर्वश्रेष्ट होता है.
वहीं आप ड्राई फ्रूट्स का भी सेवन कर सकते हैं. व्रत के दौरान आप फल, दूध, छाछ को भोजन के स्थान पर सेवन कर सकते हैं. इसके साथ ही पानी का सेवन करने से आपका पाचन तंत्र भी सही रहता है. वही शास्त्रों में वर्णित है कि व्रत के दौरान भोजन की जगह फल का सेवन करना चाहिए. व्रत के दौरान संपूर्ण आहार से बचें.
व्रत और उपवास में अंतर (Difference between fasting and vrat)
- उपवास (Upvas)-उपवास में उप का अर्थ समीप और वास का अर्थ बैठना या रहना है. मतलब भगवान में ध्यान लगाना, उनका नाम जप करना और उन्हें याद करना. जब साधक शुद्ध मन से ईश्वर के समीप रहने का प्रयास करता है तो वह उपवास कहलाता है. उपवास में साधक निराहार रहता है. बिना अन्न ग्रहण करें रहना पड़ता है. इस दौरान उपवास करने वाला साधक अधिक समय तक भगवान के ध्यान में लीन होता है.
- व्रत (Vrat)- व्रत से अभिप्राय किसी चीज का संकल्प लेकर व्रत को करना, जिसे व्रत कहते हैं. व्रत में भोजन का सेवन किया जाता है. व्रत के दौरान आप किसी भी एक वक्त भोजन का सेवन कर सकते हैं.
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