Vrishchik Lagna : कालपुरुष की कुंडली में वृश्चिक राशि को अष्टम  राशि माना गया है. यह विशाखा के एक चरण, अनुराधा के चार चरण और ज्येष्ठा के चार चरणों से मिलकर बनती है. वृश्चिक लग्न का स्वामी मंगल होता है. यह एक स्थिर लग्न उत्तर दिशा का परिचायक है और इसका रंग भूरा होता है. इस राशि में कोई भी ग्रह उच्च का नहीं होता, परंतु चंदम्रा यहां अवश्य ही नीच का हो जाता है.


सच बात कहने से नहीं चूकते हैं


मंगल के गुणों से पूर्ण वृश्चिक लग्न एक मात्र ऐसी लग्न है जहां कोई ग्रह नीच का तो हो सकता है लेकिन यहां कोई ग्रह उच्च का नहीं होता है. वृश्चिक का अर्थ है बिच्छू. बिच्छू के गुणों की तरह वृश्चिक जातकों के अंदर भी वही गुण व दोष होते हैं. जैसे बिच्छू किसी से डरता नहीं है और क्रोधित होने पर अपने शत्रु को डंक मार देता है, ठीक उसी तरह वृश्चिक लग्न वाला व्यक्ति किसी से डरता नहीं है, कहीं भी जाने से संकोच नहीं करता है. कभी-कभी कुछ ज्यादा तीखा बोल जाता है. यह बहुत स्पष्टवादी होता है. अक्सर इस लग्न वाले बहुत कड़वी बाते ही बोलते हैं. वृश्चिक लग्न वाला जिसका मित्र होता है, उससे बहुत प्रेम करता है. इन्हें अपनी और अपने करीबियों की आलोचना जरा भी बरदाश्त नहीं होती है.


हमेशा रहते हैं सावधान, आने वाले खतरें को भांप लेते हैं


वृश्चिक लग्न वाले जातक का व्यक्ति अतिआत्मविश्वास से भरा होता है. उसके पैर सुडोल होते हैं. चेहरा कुछ चौड़ापन लिए होता है. अगर वृश्चिक लग्न वाले का नवांश भी वृश्चिक का हो तो जातक की लंबाई अधिक नहीं हो पाती है. वृश्चिक वाला बहुत सतर्क होता है. यह कोई भी काम करने में अपने बचाव के साथ-साथ दूसरे पर घात भी लगाकर रखता है. वाद-विवाद में पक्ष या विपक्ष की चिंता नहीं करता है.


शत्रु पर पूरी ताकत से बोलते हैं हमला


यह भौतिक सुखों को भोगने की इच्छा रखने वाला होता है. मंगल ठीक ठाक हो तो इस लग्न वाले में हथियार रखने का शौक होता है. विनोद प्रिय होने के बावजूद भी विवादी प्रकृति का होता है. लेकिन झगड़ा होने पर भी अपनी हानि की चिंता नहीं करता है बल्कि तुरन्त हिसाब-किताब बराबर कर लेना ज्यादा पसंद करते हैं. हालांकि अपने वक्तव्य को मनवाने के लिए तर्क-वितर्क करता है. इन जातकों को क्रोध भी बहुत जल्दी आता है और अपने क्रोध पर भी नियंत्रण नहीं रख पाते हैं.


ऐसे जातक को यदि ज्ञात भी हो कि वह जो करने जा रहा हैं उसमें विवाद की स्थितियां संभव हैं, तब भी उस कार्य को कर डालता है. यह प्रतिशोध लेने में निपुण व तत्पर रहता है. दूसरों की कमियां निकालने में उस्ताद होता है. वृश्चिक लग्न वाला अन्य लग्नों पर भारी पड़ता है. वृष लग्न वाले ही इनके नैसर्गिक मित्र होते हैं.


रहस्यात्मक विषयों के जानकार और खोजी होते हैं


इस लग्न के जातक की रहस्यात्मक विषयों के साथ साथ तंत्र-मंत्र में रुचि होती है. ये खोजी स्वभाव के होते हैं. ये कई विषयों के जानकार होते हैं. इन्हें एकांत पसंद है. भीड़ में भी ये अकेले रहना ही अधिक पसंद करते हैं. ऐसे लोग कम बात करते हैं. लेकिन जब बोलते हैं तो किसी को मौका नहीं देते हैं. ऐसे लोग अच्छे वक्ता होते हैं. इनकी वाणी में एक प्रकार को ओज होता है. मंगल की स्थिति अच्छी हो तो ऐसे लोग भीड़ को भी अपना बना लेने की ताकत रखते हैं.


पत्नी को खुश रखना चाहिए


अपने निर्णय पर दृढ़ रहते हैं. ग्रह स्थितियों के कारण यदि वृश्चिक लग्न वाले जातकों के स्वामी हनुमानजी हैं, इसलिए इस लग्न वाले को मूंगा पहनना चाहिए. विशेष परिस्थितियों में पुखराज भी धारण कर सकते हैं. बुध और शुक्र चूंकि शुभ फल नहीं देते हैं इसलिए बहन और पत्नी को खुश रखना चाहिए.


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