घर का सबसे प्रमुख हिस्सा शायद ड्राइंग रूम ही होता है. घर में आने वाले हर अतिथि को ड्राइंग रूम में बिठाया जाता है. ड्राइंड रूम में हम अपने परिवारजनों, मित्रों के साथ कुछ क्षण आनंद से गुजारते हैं. यह बहुत जरूरी है कि ड्राइंग रूम का वास्तु के अनुसार होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो तो आपको मुश्किलों का समाना करना पड़ सकता है.
क्यों जरूरी है ड्राइंग रूम का वास्तु सम्मत होना
लोग घर का निर्माण तो वास्तु के नियमों के मुताबिक कर लेते हैं लेकिन उसकी सजावट के लिए वास्तु या फेंगशुई को भूल जाते हैं. सोफा, टेबल आदि फर्नीचर का आकार, दीवारों की सजावट, चित्रों की विषय वस्तु, प्रकाश व्यवस्था आदि सब मिलकर वास्तु का प्रभाव तय करते हैं. फर्नीचर खरीदते वक्त अक्सल लोग यह ध्यान नहीं देते कि फर्नीचर बैठक के अनुपात में हो, रंगों आदि से मेल खाता हो या न हो.
कैसा होना चाहिए ड्राइंगरूम
- ड्राइंग रूम के आकार के अनुपात से बड़ा सोफा होना चाहिए. बड़ा सोफा अच्छी ऊर्जा को प्रभावित करता है.
- ड्राइंग रूम से स्टडी रूम की मेज तथा काम के अन्य उपकरण दिखाई देने से भी ड्राइंग रूम में तनाव बढ़ता है.
- यह प्रयास करना चाहिए कि स्टडी रूम, बेडरूम और दूसरे कमरों के भीतरी भाग ड्राइंग रूम से नजर न आएं.
- ड्राइंग रूम की दीवारों के लिए क्रीम, सफेद और हल्का भूरा, पीला या नीला रंग बढ़िया माना गया है.
- ड्राइंग रूम के दरवाजे और खिड़कियों के लिए हरे, नीले, सुनहरे, मरून रंग के पर्दे अच्छे होते हैं. पर्दें लहरदार हो तो और अच्छा है.
- ड्राइंग रूम में भारी वस्तुएं, जैसे फर्नीचर, शो-केस आदि दक्षिण-पश्चिम कोने यानी नैऋत्य कोण में रखनी चाहिए. ड्राइंग रूम में अगर अक्वेरियम या कृत्रिम पानी का फव्वारा आदि रखना हो तो उसके लिए उत्तर-पूर्व कोना यानी ईशान कोण बढ़िया माना गया है.
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