Yogini Ekadashi Date 2023: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु भगवान की पूजा-आराधना की जाती है. माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. इस व्रत को करने से किसी के दिये हुए श्राप का निवारण भी हो जाता है. 


योगिनी एकादशी देह की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट करती है और सुंदर रुप, गुण और यश देती है. जानते हैं कि यह एकादशी क्यों मनाई जाती है. इस बार योगिनी एकादशी का पर्व 14 जून को मनाया जाएगा.



योगिनी एकादशी का महत्व 


योगिनी एकादशी का व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है. इस एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है. इस एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. यह व्रत मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है. माना जाता है इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. 


योगिनी एकादशी की पौराणिक कथा


प्राचीन काल में अलकापुरी नगर में राजा कुबेर के यहां हेम नामक एक माली रहता था. वह हर दिन भगवान शंकर के पूजन के लिए मानसरोवर से फूल लाता था. एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने चला गया जिसकी वजह से उसे फूल लाने में बहुत देर हो गई. दरबार में विलंब से पहुंचने पर राजा कुबेर क्रोधित हो गए और उसे कोढ़ी होने का श्राप दे दिया. 


राजा के श्राप के प्रभाव से हेम माली इधर-उधर भटकता रहा. भटकते-भटकते वह एक दिन दैवयोग से मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा. ऋषि ने अपने योग बल से उसके दुखी होने का कारण जान लिया. ऋषि ने माली को योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा. व्रत के प्रभाव से हेम माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.


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