नई दिल्ली: वाहनों में टायर्स का सबसे अहम रोल होता है, यदि टायर्स में गड़बड़ है तो सफर खराब होने के साथ-साथ दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है. मार्केट में इस समय ट्यूब वाले टायर्स के साथ-साथ ट्यूबलेस टायर्स की भी भरमार है, लेकिन अब अधिकतर लोग ट्यूबलेस टायर्स को ही खरीदना पसंद करते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है?


परफॉरमेंस के साथ बेहतर माइलेज


ट्यूब वाले टायर्स के मुकाबले ट्यूबलेस टायर्स का वजन कम होता है. जिससे गाड़ी की माइलेज बेहतर बनती है. इसके अलावा ट्यूबलेस टायर्स जल्दी गर्म भी नहीं होती है. जिसकी मदद से बेहतर ड्राइविंग का अनुभव मिलता है.


सेफ्टी के लिहाज से काफ़ी  बेहतर


ट्यूबलेस टायर ज्यादा भरोसेमंद भी होते हैं क्योंकि जब भी टायर में कोई नुकीली चीज लगती है, यानी जब टायर पंचर होता है तो उस कंडीशन में हवा बाहर नहीं निकलती, जिसकी वजह से गाड़ी का बैलेंस नहीं बिगड़ता है. टायर के पंक्चर होने पर हवा बहुत धीरे धीरे निकलती है ऐसे में गाड़ी को एक सही जगह पर रोकने के लिए आपको थोड़ा टाइम मिल जाता है.


पंक्चर लगाना बेहद आसान


ट्यूबलेस टायर में पंक्चर लगाने में कोई खास दिक्कत नहीं आती. पंक्चर वाली जगह पर स्ट्रिप लगाई जाती है और फिर रबर सीमेंट की मदद से उस जगह को भर दिया जाता है. आमतौर पर ट्यूब वाले टायर में पंचर लगाने के लिए उसे बाहर निकालना पड़ता है जिसमें काफी समय बर्बाद होता है. जबकि ट्यूबलेस टायर को आसानी से रिपेयर किया जा सकता है.


इन बातों का रखें ध्यान


खराब रास्तों पर गाड़ी चलाने से बचें. यदि मजबूरी में खराब सड़कों पर जाना पड़ जाए तो अपनी गाड़ी की स्पीड बिल्कुल कम रखें. ऐसा करने से टायर्स पर ज्यादा दबाव और असर नहीं पड़ेगा. गाड़ी को साफ-सुथरी जगह पर ही पार्क करें. टायर्स में हमेशा सही एयर प्रेशर रखें.


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