Ashneer Grover: गाड़ी न खरीद पाने के कारण इन लोगों से चिढ़ते थे शार्क टैंक के अनशीर ग्रोवर, इस वजह से खरीदते हैं पुरानी कारें
अशनीर ने इंस्टाग्राम बातचीत में बताया कि उन्हें महंगी और बड़ी गाड़ियों का बहुत शौक है. वे पुरानी गाड़ियां भी महंगे और लग्जरी ब्रांड्स की खरीदते हैं. पढ़ें पूरी खबर-
Ashneer Grover on Their Used Cars: शार्क टैंक 1 फेम अशनीर ग्रोवर ने अपनी गाड़ियों के बारे में एक नया खुलासा किया है. उनकी यह बात उन्हें देश के कई अन्य अरबपतियों से अलग करती है. इस समय अशनीर का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वे खुद ही बता रहे हैं कि वे अक्सर ब्रांड न्यू मॉडल के साथ पुरानी कारों को खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं, जो कि अन्य उद्योगपतियों और व्यवसायियों से बिल्कुल अलग है. साथ ही उन्होंने इसका कारण भी बताया है.
क्या है पुरानी कार खरीदने का कारण?
अशनीर ने बताया है कि वह अधिकतर यूज्ड कार ही कार खरीदते हैं क्योंकि नई कार की तुलना में पुरानी गाड़ी में सड़क पर चलते समय खरोंच लगने पर ज्यादा दुख नहीं होता. ग्रोवर ने कहा कि यह उनके पुरानी गाड़ी खरीदने का प्रमुख कारण है. उन्होंने यह भी बताया कि जब कभी नए वाहन पर स्क्रैच आ जाता है तो लगभग एक सप्ताह तक उनका मूड खराब रहता है.
कारों के शौकीन हैं अशनीर
इंस्टाग्राम पर एक बातचीत में ग्रोवर ने यह भी बताया कि कई अन्य बड़ी कंपनियों के संस्थापक अपने धंधे से कमाई करने के बाद स्पोर्ट्स कार खरीदते हैं, लेकिन ज़ोमैटो के संस्थापक दीपिंदर गोयल की कहानी सुनाते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपनी कंपनी के लिए फंडिंग हासिल करने के बाद एक रेंज रोवर खरीदी. अशनीर ने बताया कि उन्हें भी स्पोर्ट्सकार्स काफी पसंद हैं, और वे भी ऐसी गाड़ियां खरीदना चाहते हैं.
इन कारों का है कलेक्शन
अशनीर ने इंस्टाग्राम बातचीत में बताया कि उन्हें महंगी और बड़ी गाड़ियों का बहुत शौक है. वे पुरानी गाड़ियां भी महंगे और लग्जरी ब्रांड्स की खरीदते हैं. इस समय भी उनके पास कारों का काफी बड़ा कलेक्शन मौजूद है, जिसमें मर्सिडीज- बेंज मेबैक एस650, मर्सिडीज-बेंज जीएलएस, पोर्श केमैन एस, ऑडी ए6 जैसी लग्जरी कारें शामिल हैं.
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कितनी सही है अशनीर की बात
भारत जैसे देश में, जहां अधिकतर सड़कें भीड़भाड़ वाली हैं और वहां वाहनों की संख्या काफी अधिक है. ऐसी सड़कों पर गाड़ियों में खरोंच लग जाना बहुत ही आम बात है. नए वाहन पर खरोंच ओनर के मूड को खराब करने के साथ ही गाड़ी की वैल्यू को भी गिराता है. वहीं एक सेकंड हैंड कार में पहले से ही थोड़ी बहुत कमियां और स्क्रैच होते हैं, जिसके कारण नए स्क्रैच लगने पर भी कार की मार्केट वैल्यू पर उतना अधिक असर नहीं पड़ता है.